गुवाहाटी. आज हम महाबाहु ब्रह्मपुत्र के तट पर छठी मैया की उपासना करते हुए श्रद्धालुओं को शाश्वत देख रहे हैं। यह दृश्य हमारे जीवन में आस्था और एकता की सशक्त अभिव्यक्ति प्रतीत हो रहा है। छठ पूजा एक अद्भुत लोक पर्व है। जो सूर्य देव और छठ मैया की पूजा का अनूठा रूप प्रस्तुत करता है। हमारे सनातन धर्म में सूर्य को साक्षात ईश्वर का रूप माना गया है। यह साकार रूप में दिखने वाले पहले देवता हैं। जिनकी पूजा पुरानी धार्मिक परंपरा में से एक है। यह बातें असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने फैंसी बाजार लचित घाट में मध्यादेशीय वैश्य महासभा की छठ पूजा युवा समिति द्वारा आयोजित समारोह में कही। राज्यपाल ने सूर्य देव और छठ मैया के बारे में बोलते हुए आगे कहा कि यह एक द्वितीय संयोग है । आज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारा देश सौर ऊर्जा के रूप में आगे बढ़ रहा है। हमें गर्व हो रहा है कि भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में दुनिया का तीसरा बड़ा देश है। छठ पूजा हमें प्राकृतिक संसाधन के महत्व को समझने का एक बेहतरीन अवसर देता है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है। छठ पूजा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह पर्व हमारी संस्कृति में महिलाओं की भूमिका को भी रेखांकित करता है। छठ पूजन के माध्यम से महिला सशक्तिकरण और उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है। यह समाज के एकता व प्रेम की भावना को प्रबल करता है। इस पर्व से यह साबित होता है कि महिलाएं घर में आध्यात्मिक कार्य तथा बाहर में अपने अन्य क्षमताओं को प्रदर्शित करती है। इससे पहले राज्यपाल महोदय ने दीप प्रज्वलित कर के कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उनके साथ राज्य की प्रथम महिला कुमुद देवी, मध्यादेशीय वैश्य महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय गुप्ता, गुवाहाटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कामेश्वर शुक्ला, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चालक गुवाहाटी महानगर के गुरु प्रसाद मेधि, पूर्व सांसद क्वीन ओझा, नगर निगम के मेयर मृगेन सरनिया भी उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल महोदय एवं राज्य की प्रथम महिला को असमिया परंपरा के अनुसार फूलाम गमछा, जापी और सराय से सम्मानित किया गया।इससे पहले स्वागत भाषण देते हुए विजय गुप्ता ने कहा कि छठ महापर्व जो अद्वितीय और अवर्णनीय है।हम बहुत सी पूजा करते हैं लेकिन इस पूजा का महत्व ऐसा है कि इसमें सामाजिक समरसता दिखाई देती है।पूजा को एक बड़े समूह के बीच में किया जाता है। इस पर्व से चार दिनों में धार्मिक भावना प्रबल होती है। श्रद्धालु त्याग, तपस्या के बाद में पारणा करते हैं। यह पर्व सीधे हमें सूर्य से जोड़ता है। सूर्य को हम प्रत्यक्ष देव कहते हैं। धार्मिक सामाजिक आध्यात्मिकता के अलावा यह पर्व वैज्ञानिक महत्व भी रखता है। क्योंकि सूर्य की जो ऊर्जा है उसे हमारे शरीर में खनिज ऊर्जा प्राप्त होती है। गुवाहाटी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कामेश्वर शुक्ला ने कहा कि वैदिक काल से ही सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा चली आ रही है। विश्व का प्रथम साहित्य ऋग्वेद के 14 सूक्त में सिर्फ सूर्य की आराधना की ही बात कही गई है। इस कार्यक्रम का संचालन समिता बरडिया ने किया।
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भारत सौर ऊर्जा में अग्रणी: मध्य देशीय वैश्य महासभा के छठ पूजा समारोह में राज्यपाल का संदेश
भारत सौर ऊर्जा में अग्रणी: मध्य देशीय वैश्य महासभा के छठ पूजा समारोह में राज्यपाल का संदेश
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