गुवाहाटी: असम दिवस के शुभ अवसर पर आज असम के महानायक माने जाने वाले स्वर्गदेव चाओलुंग सुकाफा को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। उनके नेतृत्व में 13वीं शताब्दी में अहोम साम्राज्य की स्थापना हुई, जिसने असमिया संस्कृति और एकता की नींव रखी।
स्वर्गदेव सुकाफा म्यांमार के मौंग माओ क्षेत्र से 1228 ईस्वी में असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में आए थे। वह केवल एक कुशल शासक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी थे, जिन्होंने विभाजित जनजातियों और समुदायों को एकजुट किया। उनकी नीति "नृतन" (सद्भाव और सहिष्णुता) पर आधारित थी, जिसने असमिया समाज को एकता और स्थिरता प्रदान की।
उनके नेतृत्व की विशेषताएं:
1. सामाजिक एकता: सुकाफा ने विभिन्न जनजातियों और समुदायों को एक छत्र के नीचे लाकर समरसता स्थापित की।
2. सांस्कृतिक समृद्धि: उनके शासनकाल में असमिया संस्कृति, भाषा और परंपराओं का तेजी से विकास हुआ।
3. अहोम साम्राज्य की स्थापना: उन्होंने असम में एक संगठित और शक्तिशाली प्रशासनिक प्रणाली की शुरुआत की, जो 600 वर्षों तक अस्तित्व में रही।
इतिहासकार क्या कहते हैं?
असमिया इतिहासकारों के अनुसार, सुकाफा ने न केवल एक साम्राज्य का निर्माण किया, बल्कि ऐसी परंपराओं की नींव रखी, जो असमिया समाज को आज भी गौरवान्वित करती हैं। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व असम के सांस्कृतिक और सामाजिक विकास में मील का पत्थर साबित हुए।
आज का सन्देश:
असम दिवस के अवसर पर नई पीढ़ी के लिए यह दिन प्रेरणा का स्रोत है। स्वर्गदेव सुकाफा के योगदान को याद कर असमिया समाज न केवल अपनी जड़ों को मजबूत कर रहा है, बल्कि अध्ययन और अनुसंधान के माध्यम से इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प भी ले रहा है।
क्या आप जानते हैं?
चाओलुंग सुकाफा की नीति और नेतृत्व ने असम को न केवल एक साम्राज्य, बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत भी दी, जो आज भी जीवंत है।
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