जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं हीया अग्रवाल
आशीर्वाद दाता:
दादा दादी
लालचंद सारदा अग्रवाल
पिता एवं छोटी बहन
बिनीत लव्या अग्रवाल
नाना नानी
मदन सुमित्रा सिंघल
माँ मौसी
प्रीति स्नेहा सिंघल
बच्चों का जन्म दिन आध्यात्मिक अंदाज में मनायें ना कि पश्चिमी संस्कृति में
आज बच्चों की अधिकता कम होने के बावजूद बच्चे हम लोगो से दूर जा रहे हैं। उनका जन्म खानपान परवरिश भी हम परंपरागत रूप से नहीं बल्कि आधुनिक पश्चिमी अंदाज में कर रहे हैं फिर उन्हें अंग्रेजी विद्यालयों मे पढा रहे हैं। वो अपनों से दूर तो तभी हो गये जब नौकर नौकरानी बच्चों को पालते है। अधिकांश माँ बाप नौकरी अथवा व्यवसाय मे होतें है।
बच्चों के जन्म दिन को घर विदेशी अंदाज मे सजाकर फिर केक काटते हैं जो भारतीय परंपरा के विरूद्ध है। बच्चों का बुढे बुजुर्गों एवं आजकल तो देवी देवताओं के जन्म दिन भी केक काटकर मना रहे हैं जबकि सभी का जन्म दिन धार्मिक एवं आध्यात्मिक अंदाज में दीपक जलाकर पूजा पाठ करने के साथ प्रसाद बनाकर घर परिवार सहित अन्य लोगों मे वितरित करने से धीरे धीरे अवांछनीय परंपरा खत्म हो जायेगी। हम लोग तो दशकों से ऐसा कर रहे हैं। लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं लेकिन लोग है कि मानते ही नहीं।
बच्चों को मातृभाषा एवं दादी नानी की कहानी सुनाने के साथ साथ उनकी यादों को सुनाने से बालपन मे ही अपने घर परिवार समाज एवं देश के प्रति आकर्षण बना रहेगा।
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653
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