गुवाहाटी। ध्यान फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे गौसेवा कार्यों की सराहना करते हुए बंदरदेवा स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र की प्रिंसिपल आईपीएस सुश्री नेहा यादव ने इसे "पशुओं के लिए एक आश्रय स्थल" करार दिया। उन्होंने ध्यान फाउंडेशन और इसके स्वयंसेवकों की "सेवा भावना" की भूरि—भूरि प्रशंसा की।19 नवंबर 2024 को लिखे एक पत्र में सुश्री यादव ने असम राज्य में ध्यान फाउंडेशन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि "ध्यान फाउंडेशन ने पीटीसी, बंदरदेवा को बड़ी मदद दी है। उन्होंने संस्थान और आसपास के गांवों के जवानों द्वारा बचाए गए पशुओं का पुनर्वास किया है, जिन्हें अन्यथा मार दिया जाता।ज्ञात हो कि ध्यान फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे गोहपुर गौशाला में तकरीबन 2300 गौवंश रहते हैं।जिनमें नंदी, बछड़े, वृद्ध और पालतु गायें शामिल हैं। इन पशुओं को भारतीय सीमा सुरक्षा बल और असम पुलिस द्वारा तस्करों से बचाया गया है। यह गौशाला इन पशुओं के लिए चिकित्सा और पुनर्वास का एक केंद्र है। ध्यान फाउंडेशन हर महीने करीब 30 लाख रुपए का खर्च अपनी गौशालाओं के संचालन में करता है, जो पूरी तरह से संगठन के निजी फंड से चलता है और इसमें किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता शामिल नहीं है।ध्यान फाउंडेशन असम में धुबडी, सिलचर और गुवाहाटी में तीन और गौशालाएं चला रहा है। इनके सेवा कार्य केवल असम तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे देश में फैले हुए हैं। 45 से अधिक शेल्टर होम्स में 70,000 से ज्यादा गौवंश की देखभाल की जा रही है। बीएसएफ के अनुसार, ध्यान फाउंडेशन एकमात्र ऐसा संगठन है, जिसने भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करों से बचाए गए गौवंश के पुनर्वास की जिम्मेदारी उठाई है। उनके प्रयासों के कारण सीमा पर जवानों पर होने वाले हमले और तस्करी में भारी कमी आई है।
ध्यान फाउंडेशन को उनके इस महान कार्य के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। आप भी ध्यान फाउंडेशन की गौशालाओं में गौसेवा, गौपूजा और यज्ञ समारोहों में भाग ले सकते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें