Delhi station stampede: पोस्टमार्टम में डॉक्टर्स का भी दिल दहला, रौंदे सीने और टूटी पसलियों मंजर की दे रहीं गवाही - Rise Plus

NEWS

Rise Plus

असम का सबसे सक्रिय हिंदी डिजिटल मीडिया


Post Top Ad

Delhi station stampede: पोस्टमार्टम में डॉक्टर्स का भी दिल दहला, रौंदे सीने और टूटी पसलियों मंजर की दे रहीं गवाही

 


शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जो हुआ, वह सिर्फ एक हादसा नहीं था बल्कि इंसानियत पर एक गहरा जख्म था। जिम्मेदारों की लापरवाहियां और पीठ थपथपाने के लिए आंकड़ा में तब्दील होती संवेदनाओं ने कीड़े-मकोड़ों की तरह लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया। 18 जिंदगियां भीड़ नहीं बल्कि लालफीताशाही की अराजकता में खत्म हो गईं। किसी ने अपने बच्चे को खो दिया, किसी ने जीवनसाथी को। हर तरफ बस चीखें, आंसू और बेबसी थी। स्टेशन पर बिखरी चप्पलें, फटे कपड़े और खून के धब्बे इस त्रासदी की गवाही दे रहे थे। सबसे खौफनाक मंजर तो उनके डॉक्टर्स ने देखा जिन्होंने पोस्टमार्टम किए क्योंकि वह रिपोर्ट दिल दहला देने वाले हैं। शवों के सीने पर न जाने कितने फुटफॉल हैं कि किसी की भी पसलियां साबूत नहीं बचीं।


22 वर्षीय अमन की मां, शीला देवी, अस्पताल के बाहर बदहवास बैठी थीं। उनकी आंखें लगातार स्टेशन की ओर टिकी थीं, जैसे अब भी उन्हें यकीन था कि उनका बेटा भागता हुआ वापस आएगा। लेकिन उनका अमन अब कभी लौटने वाला नहीं था। भीड़ में एक बार अमन गिरा तो फिर उसके उठने का कोई चांस नहीं था। न जाने कितने पांव तले वह रौंद दिया गया। पांवों तले लोग रौंदते भागते रहे और एक-एक सांस के लिए तरसता हुआ अमन दम तोड़ दिया।


RML अस्पताल में आए शवों की हालत देखकर डॉक्टर भी सिहर उठे। किसी की पसलियां टूटी थीं, किसी के फेफड़े कुचल गए थे। दम घुटने (Asphyxia) से कई लोगों की मौत हुई थी। डॉक्टर अजय शुक्ला ने बताया: हमने पांच शवों का पोस्टमॉर्टम किया, उनके सीने और पेट पर गहरे जख्म थे, ऐसा लग रहा था जैसे कई पैरों से कुचले गए हों।


भगदड़ में जान गंवाने वाली 35 वर्षीय रुक्मिणी प्रयागराज जा रही थीं। स्टेशन पहुंचने से पहले उन्होंने अपने बेटे के लिए मिठाई खरीदी थी। लेकिन भीड़ के दबाव में वह गिर पड़ीं और लोग उन्हें रौंदते चले गए। जब उनके पति ने अस्पताल में उनकी लाश देखी तो उनके हाथ में अभी भी मिठाई का पैकेट दबा हुआ था।


कैसे टूटा यह कहर?

शनिवार रात 10 बजे, जब हजारों श्रद्धालु महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) के लिए ट्रेन पकड़ने आए, तो प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर भारी भीड़ जमा हो गई। प्रयागराज एक्सप्रेस (Prayagraj Express) पहले ही खचाखच भरी थी, ऊपर से स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस (Swatantrata Senani Express) और भुवनेश्वर राजधानी (Bhubaneswar Rajdhani) की देरी ने भीड़ को और बढ़ा दिया।


एक चश्मदीद ने बताया कि घोषणा हुई कि ट्रेन प्लेटफॉर्म 12 की जगह 16 पर आएगी। अचानक लोग इधर-उधर भागने लगे। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोगों को संभालने का कोई तरीका नहीं बचा। जो नीचे गिरा, वह फिर नहीं उठा।


मां ने मेरा हाथ छोड़ा नहीं था, भीड़ ने उन्हें मुझसे छीन लिया

42 वर्षीय सुनीता ने अपनी मां को इस भगदड़ में खो दिया। वह कांपते हुए बोलीं: मां ने मेरा हाथ मजबूती से पकड़ा था लेकिन जब भीड़ ने हमें धकेला, वह गिर गईं। मैंने उन्हें उठाने की कोशिश की, पर लोग उन्हें कुचलते चले गए। जब भीड़ छंटी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी...।


रेलवे ने किया मुआवजे का ऐलान, क्या जख्म भर पाएंगे?

इस दर्दनाक हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। साथ ही, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपये और मामूली रूप से घायल यात्रियों को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया है। लेकिन क्या ये रुपये किसी का खोया हुआ परिवार लौटा सकते हैं?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नियमित रूप से WhatsApp पर हमारी खबर प्राप्त करने के लिए दिए गए 'SUBSCRIBE' बटन पर क्लिक करें