लखीमपुर से राजेश राठी और ओम प्रकाश तिवाड़ी की रिपोर्ट
लखीमपुर। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में, देशभर की तरह असम के लखीमपुर शहर में भी सोमवार को युद्ध जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक मॉकड्रिल का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों को सतर्क करना, युद्धकालीन परिस्थितियों में उनके व्यवहार व प्रतिक्रिया को सशक्त बनाना और राहत एवं बचाव कार्यों की सटीकता को परखना था। यह मॉकड्रिल लखीमपुर के प्रमुख क्षेत्र डी.के. रोड स्थित विशाल मेगा मार्ट के सामने संपन्न हुआ, जहां शाम चार बजे सायरन बजाकर युद्ध जैसी स्थिति को दर्शाया गया, जिससे लोगों को यह आभास कराया गया कि संकट के समय तत्काल कैसा वातावरण बन सकता है और उस स्थिति में उन्हें क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए। मॉकड्रिल के दौरान घायल व्यक्तियों को तुरंत चिकित्सा सुविधा देने के लिए आपातकालीन एंबुलेंस सेवा सक्रिय की गई, जिसे现场 मौजूद नागरिकों ने प्रत्यक्ष रूप से देखा और सीखा कि किस प्रकार प्राथमिक उपचार व सुरक्षित स्थानांतरण किया जाता है। इस समन्वित अभ्यास में जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल), आरपीएफ (रेलवे पुलिस बल), सिविल डिफेंस, एनसीसी (राष्ट्रीय कैडेट कोर) और भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी जैसी अहम संस्थाओं ने भाग लिया और एक सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया कि किस प्रकार विभिन्न विभाग मिलकर किसी भी आपदा या युद्ध जैसी चुनौती का सामना कर सकते हैं। इस अभ्यास में लखीमपुर के जिला आयुक्त प्रणवजीत काकति, जिला पुलिस अधीक्षक गुनेन्द्र डेका समेत कई वरिष्ठ अधिकारी स्वयं उपस्थित रहे और आम नागरिकों के साथ संवाद कर उन्हें प्रेरित किया कि ऐसे समय में संयम, अनुशासन और सजगता कितनी आवश्यक होती है। हाल ही में 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों द्वारा छह निर्दोष नागरिकों की नृशंस हत्या तथा उसके प्रतिउत्तर में भारत द्वारा रातोंरात आतंकी ठिकानों पर की गई मिसाइल कार्रवाई के बाद उत्पन्न तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए यह मॉकड्रिल समय की आवश्यकता बन गई थी, जो न केवल सरकारी एजेंसियों की तत्परता का प्रतीक रही, बल्कि नागरिक जागरूकता की दिशा में एक सराहनीय पहल के रूप में सामने आई।
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