अगर आप या आपके बच्चे पढ़ाई में बेहतर ध्यान, स्मरण शक्ति और सफलता पाना चाहते हैं, तो अध्ययन कक्ष का वास्तु अनुसार होना बेहद ज़रूरी है। प्राचीन वास्तु ग्रंथ ‘मयसंर’ में बताए गए दिशा ज्ञान, ऊर्जा संतुलन (पद विन्यास) और स्थान नियोजन के सिद्धांत आज भी पूरी तरह उपयोगी हैं।
1. बैठने की सही दिशा
पढ़ाई करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना सबसे उत्तम माना गया है।
पूर्व दिशा ऊर्जा, स्पष्टता और एकाग्रता का प्रतीक है।
उत्तर दिशा बुध ग्रह से संबंधित है, जो बुद्धिमत्ता और ज्ञान को बढ़ाता है।
पीठ के पीछे दरवाज़ा, खिड़की या खुला स्थान न हो—यह अस्थिरता पैदा करता है।
2. अध्ययन कक्ष का स्थान
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व): गुरु की दिशा है, जो स्मृति और आध्यात्मिक ज्ञान में मदद करती है।
पूर्व दिशा: सूर्य की दिशा है, जो स्पष्टता और सकारात्मकता बढ़ाती है।
उत्तर दिशा: बौद्धिक क्षमता और याददाश्त को मजबूत करती है।
दक्षिण-दक्षिण पश्चिम: गंभीर अध्ययन या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए सहायक है।
3. टेबल, कुर्सी और बुकशेल्फ से जुड़ी आसान वास्तु टिप्स
ऐसी कुर्सी चुनें जिसकी पीठ सीधी और मजबूत हो। घूमने वाली या लोहे की कुर्सियों का प्रयोग न करें।
स्टडी टेबल कैसी होनी चाहिए:
टेबल के कोने गोल हों, नुकीले नहीं।
टेबल का आकार विषम संख्या (जैसे 3, 5, 7 इंच) में हो—यह शुभ माना जाता है।
टेबल को बीम, लॉफ्ट या सीढ़ियों के नीचे न रखें, इससे मानसिक दबाव बनता है।
टेबल और दीवार के बीच में 2 से 4 इंच की जगह रखें, ताकि ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
बुकशेल्फ (किताबों की अलमारी):
इसे दक्षिण या पश्चिम दिशा की दीवार पर लगाएं।
बुकशेल्फ टेबल या कुर्सी के ठीक ऊपर नहीं होनी चाहिए, इससे दबाव महसूस होता है।
केवल जरूरी, उपयोगी और प्रेरणादायक किताबें रखें।
फटी-पुरानी, अनुपयोगी या नकारात्मक किताबें न रखें—ये ऊर्जा को प्रभावित करती हैं।
4. प्रकाश, रंग और वायुप्रवाह
अध्ययन कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश का प्रवेश अवश्य हो।
दीवारों का रंग हल्का पीला या सफेद रखें—यह शांति और जागरूकता बढ़ाता है।
हवादार वातावरण बना रहे ताकि ऊर्जा ताज़ा बनी रहे।
कक्ष को साफ और व्यवस्थित रखें—यह मानसिक स्पष्टता में सहायक होता है।
5. ऊर्जा बढ़ाने के उपाय
माँ सरस्वती देवी की प्रतिमा या चित्र पूर्व दीवार पर लगाएं, जो विद्यार्थी की ओर मुख किए हो।
प्रेरणादायक कोट्स, पोस्टर या विज़न बोर्ड उत्तर या पूर्व दीवार पर लगाएं।
ग़ुस्से, दुःख या भटकाव दर्शाने वाली चीज़ें हटाएं।
इन वास्तु दोषों से बचें
टॉयलेट या सीढ़ियों के नीचे अध्ययन कक्ष न बनाएं।
सिर के ऊपर बीम न हो।
टेबल या शेल्फ पर सामान न भरे—साफ और व्यवस्थित रखें।
निष्कर्ष:
वास्तुशास्त्र और व्यावहारिक सुझावों के समन्वय से तैयार किया गया अध्ययन कक्ष न केवल एकाग्रता बढ़ाता है, बल्कि पढ़ाई को भी आनंददायक
प्रेषक:
देवकीनंदन देवड़ा
सरूत
9377607101
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