शादी की सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएं
शुभ कामना दाता
बेटी जंवाई
प्रीति बिनित
स्नेहा पृथ्वी
दो दोहिति
हीया लव्या
( धोक नानू नानी धोक)
दांपत्य जीवन दोनों को मिलकर सुंदर एवं प्रेरणा दायक बनाना पङता है
शादी एक पवित्र बंधन है जिसमें अपरिचित दो लोग बिना जान पहचान अथवा लंबी बातचीत के बाद जीवनभर एक दुसरे के हो जाते हैं। सांमजस्य बिठाना, एक दुसरे के प्रति समर्पित होना मित्रवत व्यवहार के अलावा दोनों खानदानों के माता पिता एवं संपूर्ण दोनों परिवारों के हर सदस्य का ध्यान रखना आवश्यक है सिर्फ,, हम दो का फार्मूला ठीक होते हुए भी उचित नहीं है।
यदि पति पत्नी मे कुछ ईच्छा चाहत विशेषता अथवा कमियाँ है तो दोनों को चर्चा के बाद समाधान निकालना चाहिए। माता पिता सास ससुर के साथ सभी रिश्तेदारों को शारीरिक अथवा आर्थिक रूप से यथासंभव सहयोग समर्थन करते रहना चाहिए।
कुछ लोग असभ्य संस्कार हीन शकी लालची निठल्ले अहंकारी बिना हसियत के बावजूद बकवास करने मे मगसुल रहते हैं फिर भी संयम धैर्य से उनको सुधारना चाहिए। जब अति हो जाए तो उससे दूरी बनाए रखने मे भलाई है लेकिन उसके लिए ईश्वर से प्रार्थना करें कि सुधर जाए। कहावत है कि चने के साथ धून भी पिस जाते हैं। किसी का भी मनक्रमवचन से अपमान नहीं करना चाहिए। यदि किसी का चवन्नी भर भी अहसान हो तो भूलना नही चाहिए।
किनारा करना कोई समाधान नहीं है तो कोई विकल्प भी नहीं है। शिक्षित लोगों की चुप्पी खलती है ऐसी शिक्षा का कोई मोल नहीं जो गलत देखकर भी कुछ नहीं बोलते।
आजकल दांपत्य जीवन मे समय समय पर संकट कृत्रिम अथवा अन्यण कारणों से आता है लेकिन चाहे धार्मिक सामाजिक अथवा निज इच्छा से शादी की हो उसको निभाने के लिए अंतिम विकल्प तक प्रयास करना चाहिए।
शौभाग्य है ऐसे बुजुर्गों का जो रजत स्वर्ण के बाद भी डायमंड जुबली मनाते है। इसलिए ईश्वर के वरदान अथवा श्राप भोगने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
लोग दांपत्य जीवन आपका धार्मिक सामाजिक सांस्कृतिक रूप से सुनहरा होने से प्रेरित होते हैं प्रशंसा के साथ आशीर्वाद देते हैं तथा कहते हैं कि कास हमारी जिंदगी भी ऐसी ही होती।
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653
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