लखीमपुर से राजेश राठी और ओम प्रकाश तिवारी की रिपोर्ट
धुबरी की शर्मनाक घटना के तुरंत बाद, असम के लखीमपुर जिले के पानीगांव थाना अंतर्गत ढ़ेकूवाखोनिया सिरिंगसूक नामघर के समक्ष एक गहन धार्मिक और सामाजिक तनाव को जन्म देने वाली अत्यंत निंदनीय घटना सामने आई है। बीते सोमवार की शाम लगभग सात बजे, सिरिंगसूक नामघर — जो वैष्णव परंपरा का एक पूजनीय स्थल है — के ठीक सामने एक बोरे में तीन गायों के कटे हुए सिर पाए गए। यह दृश्य देखकर स्थानीय निवासियों में गहरा आक्रोश फैल गया, और इलाके में भय और तनाव का वातावरण छा गया। इसकी सूचना मिलते ही पनिगांव पुलिस तत्काल घटनास्थल पर पहुंची और सबूतों को सुरक्षित करते हुए कटे हुए गायों के तीन सिर हटाए गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लखीमपुर के पुलिस अधीक्षक ने स्वयं मौके पर पहुंचकर जांच का जिम्मा संभाला। देर रात तक सघन छानबीन के बाद पुलिस ने इस मामले में लखीमपुर के रांगचाली देवेरा दोलोनी निवासी स्वर्गीय आमिर आली के पुत्र मंसूर आली (60), मंसूर आली के पुत्र रजक आलि (29), पानीगांव के देवबिल क्रिस्टन निवासी स्वर्गीय आमिर आली के पुत्र शाहा आली (48), शाहा आली के पुत्र दिलवर हुसैन (25), हामिद आली के पुत्र दिलदार हुसैन (30), लखीमपुर सुकलीबुरिया निवासी मुनाफ आली का पुत्र अबू कालाम आली (33), और लखीमपुर के सुकलीबुरिया निवासी अनिउद्दीन आलि के पुत्र जाहिदुल इस्लाम (22) नामक सात संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इन सभी से पूछताछ की जा रही है और पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक साक्ष्य घटना में इनकी संलिप्तता की ओर संकेत कर रहे हैं।स्थानीय नागरिकों ने इस घटना को एक सोची-समझी साजिश करार देते हुए गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र पूर्व में भी कई बार धार्मिक असहिष्णुता और वैष्णव स्थलों पर हमलों का साक्षी रहा है। वर्ष 1997 में गुमूठा सत्र पर बार-बार हुए हमलों के चलते वहां के सत्राधिकार को सत्र छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। साथ ही, बूढ़ी नदी में गोमांस फेंके जाने की घटनाओं से आहत होकर स्थानीय लोगों ने उस नदी की मछलियां खाना बंद कर दिया था। इसी पृष्ठभूमि में नामघर जैसे पवित्र स्थल को अपवित्र करने का यह दुस्साहस न केवल असम की सांस्कृतिक अस्मिता पर चोट है, बल्कि यह धार्मिक सौहार्द को ध्वस्त करने का सुनियोजित प्रयास प्रतीत होता है। क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि कुछ कट्टरपंथी तत्व लंबे समय से धार्मिक उकसावे की नीति के तहत ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, जिससे सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो रहा है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद स्थानीय जन समुदाय एकजुट होकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग कर रहा है। लोगों ने प्रशासन से यह भी आग्रह किया है कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और क्षेत्र में शांति व सौहार्द बनाए रखने हेतु ठोस कदम उठाए जाएं। जनता की मांग है कि इस जघन्य और नृशंस कृत्य को अंजाम देने वाले तत्वों को उदाहरण स्वरूप दंड दिया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी हिम्मत न कर सके। यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि एक सभ्यता, एक संस्कृति और एक धार्मिक आस्था पर सीधा प्रहार है, जिसे असम का जनमानस किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगा।
विधायक मानव डेका ने कहा:
लखीमपुर जिले के पानीगांव थाना अंतर्गत ढ़ेकूवाखोनिया सिरिंगसूक नामघर की घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय विधायक मानब डेका मौके पर पहुंचे और उन्होंने इस घृणित कृत्य की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि एक समुदाय के लोगों ने गोमांस रखकर आम जनता में भय का माहौल पैदा किया है। यह कोई पहली घटना नहीं है—पहले इस नामघर में चोरी की गई थी और अब यह अपवित्र कार्य किया गया है। लेकिन सरकार और जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की है। अब तक 7 दोषियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय को इस विषय में पहले ही अवगत करा दिया गया है। जो भी आवश्यक कदम होंगे, वे कठोरता के साथ उठाए जाएंगे। जांच के बाद कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा। हमारी सरकार मूल निवासियों के हितों की रक्षा के मामले में कभी भी पीछे नहीं हटती। उन्होंने गौरव गोगोई को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि गौरव गोगोई इस निंदनीय कृत्य को अंजाम देने वाले एक विशेष समुदाय के कुछ लोगों को संरक्षण देते आ रहे है। जिसकी विधायक डेका ने कड़े शब्दों में निंदा की और कहा कि दिन के उजाले में माइक के सामने खड़े होकर गौरव गोगोई ने असमिया समाज को जितना गहरा आघात पहुंचाया है, वैसा आघात आज तक किसी ने नहीं दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि असम की भूमि पर इस प्रकार की राक्षसी मानसिकता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विधायक ने दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया और यह भी कहा कि क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे संदिग्धों के विरुद्ध शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
लखीमपुर सिरिंगसूक नामघर प्रकरण पर पुलिस अधीक्षक ने दी प्रेस ब्रीफिंग:
सात संदिग्ध हिरासत में, अतिरिक्त पुलिस बल तैनात
पानीगांव थाना क्षेत्र के ढ़ेकूवाखोनिया सिरिंगसूक नामघर के समक्ष तीन गायों के कटे सिर फेंके जाने की निंदनीय घटना के बाद क्षेत्र में व्याप्त तनाव के बीच लखीमपुर पुलिस अधीक्षक ने एक प्रेस ब्रीफिंग के माध्यम से मामले की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने इस घटना को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला गंभीर अपराध करार देते हुए बताया कि पुलिस ने अब तक सात संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। प्रेस वार्ता में पुलिस अधीक्षक ने कहा कि प्रारंभिक जांच में कुछ महत्त्वपूर्ण साक्ष्य हाथ लगे हैं, जो घटना में संलिप्तता की ओर संकेत करते हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि चूंकि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, इसलिए फिलहाल किसी निष्कर्ष की सार्वजनिक घोषणा करना उचित नहीं होगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जांच पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता से की जा रही है, और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने पूरे क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर ली गई है और वहां अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने हेतु पड़ोसी जिलों से भी बल बुलाया गया है। उन्होंने जनता से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि अफवाहों पर ध्यान न दें और सोशल मीडिया अथवा अन्य माध्यमों से झूठी खबरें फैलाने से बचें। पुलिस ऐसे तत्वों पर कड़ी निगरानी रख रही है और अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अधीक्षक ने दोहराया कि जिला प्रशासन और पुलिस बल हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक अशांति को पनपने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने सभी नागरिकों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि असम की साझा सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने में प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करें।
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