स्थान:
असम के लखीमपुर ज़िले के क्रिश्चियन राजस्व गाँव और आसपास के इलाकों जैसे चिरिंगचुक, देबेरा रांगसाली आदि।
मामला:
करीब 218 परिवार सालों से सरकारी ज़मीन (चराई की ज़मीन, सत्र यानी धार्मिक स्थल, और स्कूल की ज़मीन) पर अवैध रूप से कब्जा करके पक्के घर बना कर रह रहे थे।
प्रशासन की कार्रवाई::
1. सरकार ने 4 दिन का नोटिस दिया इन लोगों को ज़मीन खाली करने के लिए।
2. इसके बाद, प्रशासन ने बड़ा अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया।
3. भारी संख्या में पुलिस और सुरक्षाबल वहां तैनात किए गए ताकि कोई विरोध या हिंसा न हो।
4. अधिकतर लोगों ने डर के कारण खुद ही अपने घर छोड़ दिए।
गाय के सिर मिलने से होने वाला तनाव बना कारण::
चिरिंगचुक नामघर के पास तीन गायों के कटे सिर मिले, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए।
इससे यह खुलासा हुआ कि यहां निवास करने वाले अधिकतर लोग अवैध दखल करके सरकारी ज़मीन पर रह रहे कुछ लोग शायद आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं।
स्थानीय लोगों का दबाव::
गाँव वालों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से गुहार लगाई कि इन अवैध कब्जेदारों को हटाया जाए।
इसी के बाद हम जनता की मांग पर सरकारी जमीन परअवैध कब्जे वाली सत्यता को प्रमाणित करने के पश्चात प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया।
मुख्य तथ्य::
218 परिवार अवैध कब्जे में शामिल थे।
100 बीघा से ज़्यादा सरकारी ज़मीन पर पक्के मकान बनाए गए थे।
कब्जेदारों में कुछ अल्पसंख्यक और स्थानीय खलिंजिया परिवार भी शामिल थे।
अभी ये लोग अपने घर छोड़कर खुद ही निकल गए हैं, ताकि सरकारी कार्रवाई का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष ::
यह घटना असम में सरकारी ज़मीनों पर बढ़ते अवैध कब्जों और उस पर सरकार की सख्ती की एक बड़ी मिसाल बनकर सामने आई है। प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि आगे भी ऐसे कब्जों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
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