घर में मंदिर निर्माण के लिए वास्तु के ये नियम ज़रूरी, पवित्रता और ऊर्जा दोनों में मिलेगा संतुलन - Rise Plus

NEWS

Rise Plus

असम का सबसे सक्रिय हिंदी डिजिटल मीडिया


Post Top Ad

घर में मंदिर निर्माण के लिए वास्तु के ये नियम ज़रूरी, पवित्रता और ऊर्जा दोनों में मिलेगा संतुलन

 


घर में पूजा स्थान यानी मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र होता है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति का भी स्रोत होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार यदि मंदिर सही दिशा, स्थान और सामग्री के अनुसार स्थापित किया जाए, तो इसका प्रभाव अत्यंत शुभ होता है। आइए जानते हैं घर में मंदिर स्थापित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए—


दिशा और स्थान का महत्व

 पूजा करते समय मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। मंदिर को ईशा, अदिति, अर्यमा या घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करना शुभ माना गया है। यदि संभव हो, तो मंदिर को पूर्वी दीवार पर लगाएं। मंदिर की ऊंचाई छाती से आंखों के बीच होनी चाहिए ताकि प्रार्थना करते समय सिर अपने आप झुक जाए।


संरचना और सामग्री

 मंदिर के लिए शेवन/सेवन (सागवान) लकड़ी का उपयोग उत्तम माना गया है। मंदिर के मंच की ऊंचाई लगभग 2 फीट होनी चाहिए जब आप स्टूल पर बैठकर पूजा करें। घर में पूजा के लिए मूर्तियों की ऊंचाई 2 से 9 इंच के बीच होनी चाहिए। यदि संभव हो, तो मंदिर के लिए आयाडी सूत्र (Aayadi calculations) का पालन करके ऊंचाई और चौड़ाई तय करें।


रंगों का चयन

 मंदिर क्षेत्र में सफेद, पीला या गोल्डन रंगों का प्रयोग करें। ये रंग पवित्रता, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।


मूर्ति और स्थान व्यवस्था

 मंदिर को दीवार से थोड़ा दूर रखें ताकि वायु संचार और ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। मंदिर के अंदर पूजा के अलावा कोई अन्य सामान न रखें और इसे हमेशा स्वच्छ तथा पवित्र बनाए रखें।


इन बातों से करें परहेज़

 मंदिर को शौचालय के ठीक ऊपर या नीचे कभी न बनाएं। मंदिर के पास जूते, डस्टबिन या किसी भी प्रकार की अशुद्ध वस्तु न रखें।


धार्मिक प्रतीक और ऊर्जा वर्धक तत्व

 मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक, ॐ, कलश या त्रिशूल जैसे शुभ प्रतीक स्थापित करें। तुलसी का पौधा मंदिर के पास उत्तर, पूर्व या ईशान दिशा में रखें। गंगाजल को तांबे या चांदी के कलश में उत्तर-पूर्व में रखें और नियमित रूप से पूरे घर में छिड़कें।


प्राकृतिक तत्वों का समावेश

 मंदिर क्षेत्र में भरपूर प्राकृतिक रोशनी और वायु संचार सुनिश्चित करें। इससे न केवल स्थान पवित्र बना रहता है, बल्कि मानसिक शांति और एकाग्रता में भी वृद्धि होती है।


निष्कर्ष

 घर का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थान नहीं, बल्कि ऊर्जा केंद्र भी होता है। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार मंदिर की स्थापना करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यदि ये छोटे-छोटे नियम ध्यान में रखे जाएं, तो पूजा का प्रभाव और भी अधिक फलदायी हो सकता है। 


अब देखें, क्या आपके घर का मंदिर वास्तु के अनुसार है?


रिपोर्ट: देवकी नंदन देवड़ा

मो. 9377607101


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नियमित रूप से WhatsApp पर हमारी खबर प्राप्त करने के लिए दिए गए 'SUBSCRIBE' बटन पर क्लिक करें