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पाँच वर्षीय रिवान मित्तल ने बनाया हनुमान चालीसा पाठ का अनोखा रिकॉर्ड, असम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

 


गुवाहाटी। भक्ति, प्रतिभा और स्मरणशक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला जब छत्रीबाड़ी के एक नन्हें बालक रिवान मित्तल ने मात्र 5 वर्ष की उम्र में हनुमान चालीसा का संपूर्ण पाठ 2 मिनट 14 सेकंड में करके असम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करवा लिया।रिवान मित्तल, वान्दया इंटरनेशनल स्कूल में यूकेजी कक्षा का छात्र है। वह छत्रीबाड़ी के निवासी सुरेश मित्तल और सरोज मित्तल का पोता है, तथा नुपुर मित्तल और संकीत मित्तल का इकलौता बेटा है।इसको अपनी दादी से मिली प्रेरणा के कारण घर में ही हुई साधना की शुरुआत की।रिवान की इस उपलब्धि के पीछे उसकी दादी सरोज मित्तल की अहम भूमिका रही है। सरोज मित्तल स्वयं धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं और प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करती हैं। इसी भक्ति और साधना से प्रेरित होकर रिवान ने बहुत ही कम समय में हनुमान चालीसा को न केवल याद किया, बल्कि उसे एक अनुशासित और स्पष्ट उच्चारण के साथ बोलना भी सीखा।रिवान की इस अद्भुत प्रतिभा को देख परिवार और शिक्षकों ने उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग असम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स को भेजी, जिसे जाँचने के बाद रिकॉर्ड को प्रमाणित किया गया।पारिवारिक परंपरा में दूसरी पीढ़ी का रिकॉर्ड है।गौर करने वाली बात यह भी है कि रिवान की बड़ी बहन दिशानी मित्तल ने भी दो साल पहले हनुमान चालीसा पाठ में ही असम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था। इस प्रकार यह मित्तल परिवार की दूसरी पीढ़ी है जिसने अध्यात्म और स्मरणशक्ति के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया है।


रिवान की इस उपलब्धि की जानकारी मिलते ही पूरे परिवार, स्कूल और समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई। परिवारजनों, शिक्षकों, पड़ोसियों और धार्मिक संगठनों ने रिवान को शुभकामनाएँ दीं और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।


सुरेश मित्तल, रिवान के दादा, ने कहा, "हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा पोता इतनी छोटी उम्र में ऐसा कुछ करेगा जिससे पूरा परिवार गौरवान्वित होगा। यह हम सबके लिए गर्व की बात है।"रिवान की दादी सरोज मित्तल ने बताया कि "मैं रोज हनुमान चालीसा पढ़ती हूँ, रिवान मेरे साथ बैठने लगा और धीरे-धीरे उसे खुद से बोलने लगा। हमने बस उसे प्रोत्साहित किया और आज वह इस मुकाम तक पहुंचा। रिवान को अब अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेने के लिए तैयार किया जा रहा है। मित्तल परिवार का मानना है कि बच्चों में धर्म और संस्कृति के प्रति आस्था बचपन से ही विकसित करनी चाहिए, जिससे वे न केवल नैतिक रूप से मजबूत बनें बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी बन सके।

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