गुवाहाटी। आचार्य महाश्रमण के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार, मुनि रमेश कुमार, मुनि पद्म कुमार एवं मुनि रत्न कुमार के पावन सान्निध्य एवं तेरापंथी सभा, गुवाहाटी के तत्वावधान में स्थानीय तेरापंथ धर्मस्थल में आगम आधारित प्रवचनमाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सैकड़ों श्रावक -श्राविकाएं सम्मिलित होते हैं।
इसी क्रम में मंगलवार को मुनि डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने उपस्थित जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कहा कि जिस क्रिया में समता की आय होती है वह क्रिया सामायिक कहलाती है। सामायिक के माध्यम से, व्यक्ति अपने भीतर की ओर मुड़ता है और अपनी आत्मा के कल्याण के लिए प्रयास करता है। सामयिक व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण और आत्म-जागरूकता विकसित करने में मदद करता है।
मुनि रमेश कुमार ने अनुशासन के स्रोत, स्वरूप एवं फल क्या है ? इसे विस्तार सहित विवेचन किया। उन्होंने कहा स्रोत का अर्थ वह स्वतंत्रता है जो दूसरों के संरक्षक बने। स्वरूप का मतलब - इच्छाओं का निरोध करना तथा फल का अर्थ - प्रसाद और समता भाव में रमण करना यानी नियंत्रण में रहना होता है।
मुनि रत्न कुमार ने गुरुओं के उपालंभ मिलने पर भी विनम्र रहने वाला व्यक्ति अपना कल्याण कर सकता है। गुरु जो कहते हैं वह सही के लिए कहते हैं, इसलिए गुरुओं के वचन को आत्मसात करें और अपना कल्याण करें। इस आशय की जानकारी सभा के मंत्री राजकुमार बैद ने यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
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