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असम समझौते के 40 साल: अब धैर्य की सीमा खत्म

 


वरिष्ठ पत्रकार ने प्रधानमंत्री से किया पूर्ण क्रियान्वयन का आग्रह


गुवाहाटी। ऐतिहासिक असम समझौते को पूरे 40 साल हो गए, लेकिन समझौते की प्रमुख धाराएँ आज भी अधूरी हैं। इसको लेकर गुवाहाटी के वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्र प्रकाश शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर समझौते के सही मायने में शीघ्र क्रियान्वयन की माँग की है।


शर्मा ने अपने पत्र में याद दिलाया कि 15 अगस्त 1985 को भारत सरकार, अखिल असम छात्र संघ (AASU) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (AAGSP) के बीच असम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसका मकसद असम की मूलनिवासी जनता के राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकारों की रक्षा करना तथा बांग्लादेश से हो रही अवैध घुसपैठ को रोकना था।


उन्होंने कहा कि चार दशक बीत जाने के बावजूद विदेशी नागरिकों की पहचान, मतदाता सूची से नाम विलोपन और निर्वासन की प्रक्रिया अधूरी है। वहीं, धारा 6 समिति की संवैधानिक और प्रशासनिक संरक्षण संबंधी सिफारिशें भी अब तक लागू नहीं की गई हैं। शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि भारत-बांग्लादेश सीमा पूरी तरह सुरक्षित नहीं है और बाड़बंदी व निगरानी की कमी से घुसपैठ की समस्या बनी हुई है।


पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि धारा 6 को तुरंत लागू किया जाए, अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया को गति दी जाए तथा सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि असम समझौते की सभी धाराओं का अक्षरशः पालन होना चाहिए ताकि असम की जनता से किया गया वादा पूरा हो सके।


“असम की जनता ने चालीस वर्षों तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की है। अब यह समय है कि केंद्र सरकार निर्णायक और समयबद्ध कदम उठाकर 1985 में किए गए वादों का सम्मान करे।” — शर्मा ने पत्र में लिखा।

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