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राजस्थान फाउंडेशन की मेघालय में एंट्री: शिलांग में समिति गठित,राजस्थान के मुख्यमंत्री ने भूमि आवंटन का किया आग्रह

 


शिलांग। राजस्थान फाउंडेशन ने पूर्वोत्तर भारत में अपने सामाजिक और संरचनात्मक विस्तार की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए अब मेघालय राज्य में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है। फाउंडेशन ने मेघालय की राजधानी शिलांग में एक तदर्थ समिति का गठन किया है, जिसका उद्देश्य वहां रह रहे राजस्थानी समाज को संगठित करना और उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को और अधिक सशक्त बनाना है।


यह समिति असम एवं पूर्वोत्तर चैप्टर के अध्यक्ष श्री रतन शर्मा के सतत प्रयासों से गठित की गई है। समिति के गठन में मेघालय के प्रांतीय उपाध्यक्ष श्री महेश चाचान की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समिति में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जिनका लक्ष्य राज्य में रह रहे राजस्थानी समुदाय को संगठित करना, उनकी समस्याओं को उठाना और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।


समिति के सदस्यो मे

कुंज बिहारी अजमेरा,पुष्पा देवी बजाज,कनक गोयल,अजय कुमार अग्रवाल,अधिवक्ता मनोज शर्मा,सीए अरुण दाधीच,मनोज लुनिया,किशन टिंबरेवाल,कमल अग्रवाल,मनोज पाटनी,अमित सिंघानिया को यह नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।राजस्थान फाउंडेशन के महामंत्री शंकर बिडला ने इस अवसर पर जानकारी दी कि मेघालय समिति का गठन पूर्वोत्तर में फाउंडेशन के संगठनात्मक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने समिति के सभी नवगठित सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास जताया कि उनका समर्पित योगदान संस्था को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध होगा।प्रांतीय अध्यक्ष श्री रतन शर्मा ने भी समिति के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि, "हम सब मिलकर पूर्वोत्तर भारत में राजस्थानी समाज को एक नई दिशा देंगे। संगठन के माध्यम से न केवल सामाजिक एकता को बल मिलेगा, बल्कि सांस्कृतिक धरोहरों को भी संजोया जा सकेगा।इस अवसर पर एक और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मेघालय के मुख्यमंत्री काॅनराड संगमा को पत्र लिखकर शिलांग में राजस्थान भवन निर्माण हेतु 3000 वर्ग मीटर भूमि आवंटित करने का अनुरोध किया है। यह प्रस्ताव न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के क्षेत्र में भी इसकी व्यापक संभावनाएं हैं।सूत्रों के अनुसार, मेघालय सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। यदि यह भूमि आवंटन स्वीकृत होता है, तो राजस्थान भवन का निर्माण न केवल राजस्थानी समाज के लिए एक स्थायी केंद्र बनेगा, बल्कि यह भवन दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान, व्यापारिक सहयोग एवं आपसी संबंधों को मजबूत करने का एक सेतु बनेगा।राजस्थान भवन के निर्माण से मेघालय आने वाले राजस्थानी प्रवासियों और पर्यटकों को वहां घरेलू वातावरण और सांस्कृतिक अपनापन महसूस होगा। यह भवन राज्य के अन्य समुदायों के साथ संवाद और समन्वय का भी मंच बनेगा। राजस्थान फाउंडेशन की मेघालय में यह पहल पूर्वोत्तर भारत में सामाजिक एकता, सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार और संगठनात्मक विस्तार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उम्मीद की जा रही है कि यह संगठन वहां के राजस्थानी समाज को एक नई पहचान और ताकत देगा, साथ ही अन्य समुदायों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों को भी प्रगाढ़ करेगा।

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