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ऑफिस में बैठने की जगह: वास्तु और विज्ञान का संगम

 


ऑफिस में कौन-सी टीम किस दिशा में बैठे, यह केवल सुविधा का सवाल नहीं है। राज वल्लभ और 45 देवता मंडल बताते हैं कि भवन का हर भाग किसी देवता के अधीन है। लेकिन आधुनिक विज्ञान भी इस व्यवस्था को सही ठहराता है, क्योंकि दिशा और स्थान हमारे मस्तिष्क, शरीर और व्यवहार पर सीधा असर डालते हैं।

विभागवार उपयुक्त दिशा और उसका वैज्ञानिक कारण:

● मालिक / संगठन प्रमुख – नैऋत्य (SW) | देवता: इन्द्र, इन्द्रजय

 क्योंकि यह हिस्सा भवन का सबसे स्थिर और बंद कोना होता है। यहाँ रोशनी और कम गतिविधि होती है, जिससे निर्णय लेने में गहराई और स्थिरता आती है।

● मुख्य एकाउंटेंट – आग्नेय (SE) | देवता: सावित्र, सावित्री

क्योंकि यह दिशा दिनभर सबसे ज़्यादा धूप और गर्मी पाती है। यह “अग्नि तत्व” ऊर्जा देता है और दिमाग़ को सतर्क रखता है, जिससे धन प्रवाह पर नज़र रखना आसान होता है।

● मार्केटिंग टीम – वायव्य दिशा (NW) | देवता: रुद्र, रुद्रजय

 क्योंकि गर्म और रोशनी वाला क्षेत्र उत्साह और एक्टिवनेस बढ़ाता है। यह वातावरण संचार कौशल और पब्लिक डीलिंग में आत्मविश्वास जगाता है।

● वरिष्ठ स्टाफ / कानूनी सलाहकार – पूर्व दिशा | देवता: आर्यमा

 क्योंकि सुबह की ताज़ा धूप में मौजूद ब्लू-लाइट हमारे मस्तिष्क की जागरूकता और तार्किक सोच को बढ़ाती है, जिससे निर्णय क्षमता मज़बूत होती है।

● भूमि / प्रॉपर्टी डीलिंग – दक्षिण दिशा | देवता: विवस्वान

 क्योंकि यह दिशा तेज़ गर्मी और गतिशील ऊर्जा का प्रतीक है, जो बातचीत और सौदों को तेज़ी से आगे बढ़ाती है।

● भविष्य का उत्तराधिकारी – दक्षिण-पश्चिम (SSW) | देवता: मित्र

 क्योंकि यह हिस्सा अपेक्षाकृत शांत होता है और यहाँ बैठने वाले को अधिक ज़िम्मेदारी और नियंत्रण का अनुभव होता है। यह मानसिक परिपक्वता बढ़ाता है।

● रिसेप्शन / विज़िटर वेलकम – उत्तर-पूर्व | देवता: आप, आपवत्स

 क्योंकि यह भवन का सबसे खुला और उज्ज्वल कोना होता है। प्रवेश करने वाला व्यक्ति यहाँ प्राकृतिक रोशनी और ताज़ी हवा पाकर तुरंत सकारात्मक अनुभव करता है।

● क्रिएटिव टीम / आर्किटेक्ट – उत्तर दिशा | देवता: भूधर (बुध/भल्लाट)

क्योंकि पृथ्वी का चुंबकीय प्रवाह उत्तर से दक्षिण की ओर होता है। इस दिशा की ओर बैठने पर दिमाग़ का रक्तसंचार और फोकस बेहतर होता है, जो रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ाता है।

● डॉक्टर / समस्या समाधान – उत्तर दिशा | देवता: चरक, भुजंग

 क्योंकि उत्तर दिशा शांति और विश्लेषण को प्रोत्साहित करती है। चुंबकीय संतुलन और कम व्यवधान वाला माहौल दिमाग़ की समस्या सुलझाने की क्षमता को मजबूत बनाता है।

● आईटी / टेलीकॉम विभाग – पूर्व या उत्तर-पूर्व | देवता: जयंत, महेन्द्र, सूर्य

 क्योंकि यहाँ से प्राकृतिक प्रकाश और वायु प्रवाह अच्छा होता है, जिससे सतर्कता और संवाद क्षमता बढ़ती है। यही तकनीकी कार्यों और नेटवर्किंग के लिए ज़रूरी है।

● सीआरएम / क्लाइंट रिलेशन – उत्तर दिशा | देवता: सत्य, अंतरिक्ष

 क्योंकि उत्तर दिशा भरोसे और स्थिरता की भावना देती है। चुंबकीय प्रवाह से मेल खाने के कारण यहाँ बैठने वाला व्यक्ति अधिक संतुलित और विश्वसनीय प्रतीत होता है।

● मीटिंग / ट्रेनिंग हॉल – उत्तर-पूर्व | देवता: आप, आपवत्स

 क्योंकि यह सबसे खुला और रोशन क्षेत्र होता है। शोध बताते हैं कि उजले और हवादार स्थान पर बैठकर सामूहिक चर्चा और सीखना अधिक प्रभावी होता है।


सावधानी:

 शोष, रोग, असुर, भृगराज और वितथ पाद में बैठने या सोफा/बेड रखने से बचना चाहिए, क्योंकि ये क्षेत्र अंधेरे और असंतुलित होते हैं, जहाँ नकारात्मक ऊर्जा और अस्वस्थता पनप सकती है।

निष्कर्ष:

 वास्तु केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि पर्यावरण विज्ञान और मनोविज्ञान का परिणाम है। सही दिशा में बैठने से कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ती है, संगठन में धन का प्रवाह सुचारु होता है और कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा स्वतः निर्मित होती है।

🖋️ रिपोर्ट: देवकी नंदन देवड़ा

मो. 9377607101


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