घाट पर अद्भुत संगम: जहाँ बप्पा की विदाई से पहले रुक गया पूरा घाट, एक आत्मा को मिली अंतिम विदाई - Rise Plus

NEWS

Rise Plus

असम का सबसे सक्रिय हिंदी डिजिटल मीडिया


Post Top Ad

घाट पर अद्भुत संगम: जहाँ बप्पा की विदाई से पहले रुक गया पूरा घाट, एक आत्मा को मिली अंतिम विदाई


पुणे से लगभग 30 किलोमीटर दूर बहुल गाँव का घाट इस गणपति विसर्जन के दौरान एक ऐसी घटना का साक्षी बना, जो केवल परंपरा नहीं बल्कि इंसानियत की मिसाल बन गई।


गणपति विसर्जन के लिए कई प्रतिमाएँ पहले से घाट पर पंक्तिबद्ध थीं। ढोल-ताशों की गूंज, भक्तों के चेहरे पर उत्साह और बप्पा को विदा करने की तैयारी पूरे जोरों पर थी। इसी बीच घाट पर एक और जुलूस पहुँचा लेकिन यह जुलूस खुशियों का नहीं, बल्कि विदाई का था। एक परिवार अपने प्रियजन के अंतिम संस्कार के लिए वहाँ आया।


इस बीच विसर्जन की जिम्मेदारी सँभाल रहे पुणे के गणपति भक्त सचिन खांडके और उनकी टोली को परिवार ने निवेदन किया कि वे पहले गणपति विसर्जन कर लें, ताकि बाद में वे दाह संस्कार कर सकें। लेकिन सचिन खांडके ने जो निर्णय लिया, वही इस क्षण को खास बना गया। उन्होंने कहा “बप्पा की मौजूदगी में किसी आत्मा को विदाई देना सबसे बड़ा पुण्य है। आज बप्पा भी यही चाहेंगे कि पहले इस आत्मा की शांति के लिए संस्कार हो।”


भक्तों ने पूरे उत्सव को विराम दिया। ढोल-ताशे थम गए, मंत्रोच्चार शांत हो गए और हर कोई चुपचाप खड़ा होकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया देखता रहा। कुछ ही देर में जब दाह संस्कार पूर्ण हुआ, तब सभी ने मिलकर बप्पा को भी विदा किया।


उस घाट पर उस दिन दो विपरीत भावनाएँ एक साथ मौजूद थीं। एक ओर बप्पा का रंग-बिरंगा उत्सव, दूसरी ओर विदाई का मौन दुख। लेकिन यही जीवन का सत्य है। आगमन और प्रस्थान, उत्सव और शोक, दोनों ही इस संसार के चक्र का हिस्सा हैं। बहुल घाट की यह घटना सिर्फ़ एक संयोग नहीं, बल्कि एक संदेश है कि हमारे पर्व तभी पूर्ण हैं जब उनमें संवेदना, आदर और इंसानियत की जगह हो।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नियमित रूप से WhatsApp पर हमारी खबर प्राप्त करने के लिए दिए गए 'SUBSCRIBE' बटन पर क्लिक करें