संपत मिश्र
गुवाहाटी - असम के गोलाघाट जिले में बाढ़ की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सैंकड़ों गांव जलमग्न हो गये हैं। तथा हजारों की तादाद में लोग बेघर होकर सड़कों पर आश्रय लिए हुए हैं। मनुष्य के अलावा काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के एक सिंग के गैंडों के अलावा पशु पक्षियों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में सरकारी सहायता से पहले मारवाड़ी सम्मेलन की गोलाघाट शाखा ने राहत कार्य करके मानवता व जनसेवा का विरल उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। गोलाघाट शाखा के अध्यक्ष प्रदीप नावका, मंत्री राम मनोहर बिनानी के नेतृत्व में सारा समाज एक जुट होकर राहत कार्य में लग गया है। गौरतलब है कि 15 जुलाई को गुवाहाटी में समाज की सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों को लेकर पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन के नेतृत्व में सामाजिक समरसता सभा का आयोजन किया गया था। जिसका मूल उद्देश्य हम सभी मारवाड़ी समाज के घटक जन सेवा का कार्य एक ही बैनर के तले करें तो स्थानीय समाज में इसका मारवाड़ियों के प्रति अच्छा संदेश जाएगा। इस प्रस्ताव को सबसे पहले सम्मेलन की गोलाघाट शाखा ने चरितार्थ करके दिखा दिया। समाज की सभी घटक जैन, माहेश्वरी, अग्रवाल, ब्राह्मण ने एकजुट होकर खाद्य सामग्री के अलावा रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुएं, शुद्ध जल, कपड़े, दवाइयां वितरित की। प्रथम प्रयास में ही 21 शिविरों में साठ कार्यकर्ताओं के दो दल ने राहत सामग्री वितरित की। राहत कार्य में लोग अपने आप ही जुड़ते गए। सूरत की संध्या मालपानी, पुणे की सरोज गगड़ ने आर्थिक अनुदान दिया। गोलाघाट जिले के दैवग्रुंग, पूरा बंगला, मोरोंगी, शिशु पानी, टेंगानी, काछोमारी, लुरकी हाट के शिवीरो में तथा सड़कों पर रह रहे पीड़ितों को राहत सामग्री बांटी गई। संकट की इस घड़ी में मारवाड़ी समाज के विभिन्न घटक माहेश्वरी युवा संगठन, माहेश्वरी महिला संगठन, दिगंबर जैन समाज, अग्रवाल महिला समिति, ब्राह्मण समाज की एकजुटता काबिल-ए-तारीफ थी। वर्तमान में सम्मेलन की गोलाघाट शाखा के नेतृत्व में बाढ़ राहत का यह कार्यक्रम जोर-शोर से चल रहा है।
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