रामदेवरा से संपत मिश्र
रामदेवरा - सामाजिक समरसता के प्रतीक बाबा रामसा पीर का समाधि स्थल हिंदू और मुस्लिम की एकता का विरल उदाहरण है। आस्था के केंद्र रामदेवरा में कई जन सेवा के केंद्र में श्रद्धालुओं को निःशुल्क सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसी कड़ी में एक नाम उभरकर सामने आता है जो पिछले 70 सालों से जन सेवा में अग्रणी है। वह है बाबा रामदेव समाधि स्थल के बिल्कुल नजदीक श्री हरिओम अन्नक्षेत्र सोसाइटी। बाबो भली करे श्री गुसाईं आश्रम समिति द्वारा संचालित यह अन्नक्षेत्र भाद्रपद महीने में मेले के दौरान एक महीने तक दोनों समय पर आए 5 हजार से भी अधिक यात्रियों को निःशुल्क भोजन, जल सेवा, नींबू शरबत, सेवा स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराता है।
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समिति के ओमप्रकाश गुसाईं का कहना है कि 70 साल पहले उनके पिता स्वर्गीय रामचंद्र जी गुस्साई ने इस अन्न क्षेत्र की स्थापना की थी। सीमित साधनों के बीच कई दशकों तक इस अन्न क्षेत्र और जल सेवा को उन्होंने बरकरार रखा। आज संपूर्ण भारतवर्ष के कोने-कोने से हमें सहयोग प्राप्त हो रहा है। पूर्वोत्तर के असम प्रांत से अधिकांश सहयोग प्राप्त हो रहा है। मेले के अलावा यह अन्न क्षेत्र 12 महीनों चलाया जाता है। बाबो भली करे संस्था जगह जगह वातानुकूलित धर्मशालाएं एवं 14 जगहों पर जल सेवा की प्याऊ में निःशुल्क सेवाएं प्रदान कर रही है। इस संस्था के द्वारा सभी संप्रदाय के दरिद्र नारायण, साधु -संत, अनाथ, असहाय एवं वृद्ध लोगों के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था भी है। कोई भी श्रद्धालु अपने दादा -दादी, माता-पिता एवं अन्य परिजनों की पुण्य स्मृति में तथा अपने बच्चों के जन्मदिन पर एवं शादी की वर्षगांठ पर विशेष अनुदान देकर आयकर की धारा 80 जी के तहत टैक्स पर छूट प्राप्त कर सकते हैं। अन्न क्षेत्र में अन्य रूप से भी सहयोग जैसे साधारण भोजन, दालरोटी, सब्जी, मिठाई, हलवा, आदि के रूप में भी अपना सहयोग दे सकते हैं।
बाबो भली करे धर्मशाला में ठहरने पर घर परिवार जैसा माहौल प्राप्त होता है। व्यवस्थापक ओमप्रकाश राजाराम गुसाई स्वयं अपनी देख-रेख में सारी सेवाओं का संचालन करते। श्री भगवान गुसाई के संचालन में भादवा मेला में प्याऊ, गर्मी के महीनों के लिए प्याऊ, साधारण महीनों लिए प्याऊ, पक्षी चुग्गा के लिए दाने की व्यवस्था, रामदेव महाराज की सवामणी के लिए चूरमा एवं बुंदिया की व्यवस्था श्रद्धालुओं की मांग के अनुसार भी किया जाता है। इन सभी व्यवस्थाओं के अलावा, दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वापसी के समय रास्ते में खाने के लिए टिफिन सेवा भी दी जाती है। यह अपने आप में एक अनूठी व्यवस्था है। धर्मशाला एवं प्याऊ लिए आजीवन सदस्य बनने का प्रावधान भी इस समिति में रखा गया है।
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