नई दिल्ली/मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने गुरुवार को अपनी मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान किया, जिसमें रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर यथावत रखा गया है। इसी तरह रिवर्स रेपो रेट 4.90 फीसदी पर बना रहेगा। इससे लोन की दरों में अभी बदलाव की उम्मीद नहीं है।
आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार को शुरू हुई और नतीजे गुरुवार को आए। खास बात यह है कि इस बार एमपीसी के सभी सदस्यों ने एक राय से रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला किया। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 5 फीसदी रहने के अनुमान को बनाए रखा। साथ ही उसने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2020-21 में सुधरकर 6 प्रतिशत हो सकती है।
मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्रोथ बढ़ाने के दूसरे तरीके भी हैं। उल्लेखनीय है कि आरबीआई नीतियां बनाते वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। साथ ही मध्यम अवधि में आरबीआई का लक्ष्य रहता है कि खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी पर बना रहे। रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी से 5.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। गौरतलब है कि इससे पहले लगातार 5 बार कटौती करते हुए आरबीआई ने रेपो रेट में 1.35 फीसदी कमी की थी।
मौद्रिक समीक्षा नीति की खास बातें:
-केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति का रुख लचीला बनाए रखा है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए आरबीआई के पास ठोस कदम उठाने के विकल्प खुला रहेगा। रिजर्व बैंक ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर उसके पास पॉलिसी रेट में बदलाव करने की गुंजाइश है।
-आरबीआई ने कहा कि महंगाई दर में तेजी है। इसके मार्च तिमाही में ऊंचे स्तर पर बने रहने का अनुमान है। अभी महंगाई के मोर्चे पर तस्वीर साफ दिखाई नहीं देती है।
-रिजर्व बैंक ने कहा कि महंगाई की वास्तविक दर 5.8 फीसदी पर पहुंच गई है, जो कि हमारे अनुमान से 0.70 फीसदी ज्यादा है। इसकी वजह दिसम्बर में प्याज की कीमतों में उछाल है। अक्टूबर-नवम्बर में बैमौसम बारिश होने से प्याज की कीमतों में उछाल आया।
-आरबीआई ने मार्च तिमाही में खुदरा मूल्य आधारित महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसे 5-5.4 फीसदी के बीच रखा ही गया है।
-रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी ग्रोथ) 6 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। ये इस वित्त वर्ष 2019-20 में 5 फीसदी की ग्रोथ के अनुमान के मुकाबले एक फीसदी ज्यादा है।
क्या होता है रेपो रेट
बैंक लोन की मांग बढ़ने पर आरबीआई से पैसे लेते हैं। इस पैसे पर आरबीआई बैंकों से ब्याज लेता है। ब्याज की इसी दर को रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट को बैंकों के लिए एक तरह का बेंचमार्क माना जाता है। इसी बेंचमार्क के अनुसार वे ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दर तय करते हैं। इसका मतलब ये होता है कि रेपो रेट बढ़ने पर लोन की ब्याज दर बढ़ती है। इसी तरह रेपो रेट घटने पर लोन की ब्याज दर घटने की उम्मीद रहती है।(हि.स.)
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