गुवाहाटी। डॉ श्याम सुंदर हरलालका द्वारा लिखित पुस्तक असम की मारवाड़ी जाति का इतिहास का आज विमोचन किया गया। यह कार्यक्रम पूर्वोतर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन के अंतर्गत साहित्य सृजन एवं विकास समिति द्वारा वेबीनार के माध्यम से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गाड़ोदिया तथा मुख्य वक्ता के रूप में सीताराम शर्मा ने भाग लिया। इसके अलावा निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सराफ, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन सूरेका, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजय कुमार लोहिया, राष्ट्रीय महामंत्री संजय हरलालका, राष्ट्रीय संगठन मंत्री बसंत मित्तल, कर्नाटक सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सुभाष अग्रवाल, झारखंड सम्मेलन के राजकुमार केडिया, श्रीमती पुष्पा भुवालका एवं पूरे देश से सम्मेलन के वरिष्ठ सदस्य इस विमोचन कार्यक्रम में जूम के द्वारा जुड़े हुए थे । पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाडी सम्मेलन के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष ओंकारमल अग्रवाल, विजय मंगलुनिया एवं मधुसूदन सिकरिया ने भी कार्यक्रम में आनलाईन जुडकर अपना सहयोग दिया।राष्ट्रीय अध्यक्ष गोवर्धन गाड़ोदिया ने कहा कि 576 पृष्ठों की यह यह पुस्तक मारवाड़ी समाज के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी तथा आने वाली पीढ़ी के लिए एक दस्तावेज होगी।उन्होंने कहा कि समूचे भारत में इस तरह का यह पहला प्रयास किया गया है। तथा इसके लिए डॉक्टर श्याम सुन्दर हरलालका के साथ-साथ पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन भी प्रशंसा की हकदार है। मुख्य वक्ता सीताराम शर्मा ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह पुस्तक एक आदर्श होगी तथा इसमें समाज की छवि सुधरेगी। पुस्तक के लेखक डॉ श्यामसुंदर हरलालका ने भी पुस्तक के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि इस पुस्तक का असमिया और अंग्रेजी संस्करण भी शीघ्र प्रकाशित किया जाएगा। ताकि इतर समाज में लोगों में भी इसका वितरण दिया जा सके। राष्ट्रीय महामंत्री संजय हरलालका ने अपने संबोधन में पुस्तक की उपयोगिता के बारे में बताते हुए कहा कि आदमी आता है और चला जाता है परंतु साहित्य हमेशा जीवित रहता है। प्रांतीय महामंत्री अशोक अग्रवाल ने सभा की अध्यक्षता की।
साहित्य सृजन और विकास समिति के संयोजक उमेश खंडेलिया ने अपने उद्देश्य आधारित वक्तव्य में असम के मारवाड़ी समुदाय की उज्जवल छवि प्रस्तुत हेतु साहित्य सृजन की आवश्यकताओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मारवाड़ी समाज की भाषा, साहित्य, संस्कृति, खानपान व उनकी विशेषता तथा विशिष्टता के संदर्भ में कोई साहित्य उपलब्ध नहीं है। उन्होंने सम्मेलन के राष्ट्रीय नेताओं को इस संदर्भ में गहन चिंतन, मनन करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि उनकी समिति असम के मारवाड़ी कीर्ति पुरूष नामक असमिया पुस्तक पर कार्य कर रही है। तथा बहुत ही जल्दी यह पुस्तक आपके हाथों में होगी। सभा के अंत में राजकुमार सर्राफ ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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