कछार (असम)। कछार जिला के अभिभावक मंत्री एवं गुवाहाटी विकास विभाग और शहरी विकास विभाग के मंत्री अशोक सिंघल ने असम-मिजोरम सीमा के लैलापुर में गुरुवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपनी जमीन का एक इंच भी मिजोरम में नहीं जाने देंगे। सिंघल ने कहा, "गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ को तैनात करने का आदेश दिया था, हमने सीआरपीएफ को अपनी पोस्ट सौंप दिया है लेकिन, मिजोरम सरकार ने अभी भी अपने लोगों को पोस्ट से नहीं हटाया है, जो दुखद है। असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि बातचीत से विवाद सुलझाया जा सकता है। मंत्री सिंघल ने चुटकी लेते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि मिज़ो लोग हथियारों और गोला-बारूद के माध्यम से विवाद को सुलझाना चाहते हैं। यदि ऐसा है तो यह दृष्टिकोण ही गलत है। साथ ही संघर्ष के दौरान असम पुलिस के छह पुलिस कर्मी की मौत हो गयी। उन्होंने कहा कि इस दौरान मिजोरम के पुलिसकर्मियों ने विवाद वाले इलाके में एलएमजी से गोली मारना जारी रखा था। दोनों राज्यों के बीच शांति और सद्भाव अभी कायम नहीं हुआ है।
सरकार की ओर से आर्थिक नाकेबंदी को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में सिंघल ने कहा कि सरकार इसके पक्ष में नहीं है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि सीमावर्ती निवासियों की सुरक्षा के लिए जो कुछ भी आवश्यक होगा, सरकार अपना सर्वश्रेष्ठ करेगी। उन्होंने कहा कि हाल की घटनाक्रमों से डरने की कोई जरुरत नहीं है। कछार जिला के अभिभावक मंत्री सिंघल, मत्स्य, आबकारी एवं वन और पर्यावरण मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य, सिलचर के सांसद डॉ राजदीप रॉय के साथ सिलचर के विधायक दिपायन चक्रवर्ती, लखीपुर के विधायक कौशिक राय और कछार की जिला उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने लैलापुर का दौरा कर हालात का जायजा लिया। ज्ञात हो कि इसी इलाके में गत सोमवार को दोनों राज्यों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। घटना के बाद इलाके में भारी तनाव व्याप्त है।
असम सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने स्थिति का जायजा लेने के साथ ही असम-मिजोरम सीमा पर तैनात सीआरपीएफ के डीआईजी के साथ बातचीत की तथा सुरक्षा की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ली। बाद में मंत्री सिंघल और वन मंत्री परिमल शुक्लबैद्य ने उपरोक्त सांसद व विधायकों एवं जिला उपायुक्त के साथ पालोंगघाट गांव पंचायत और कथाल के तहत पुनीमुख का दौरा किया और मृतक कांस्टेबल मंजुरुल हक बरभुइंया और श्यामसुंदर दुसात के परिवार से मुलाकात की। दोनों परिवारों को सरकार की ओर से 50-50 लाख रुपये के चेक सौंपे। (हि.स.)
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