गुवाहाटी। असम-मिजोरम सीमा विवाद के चलते प्रतिदिन नये-नये बयान और स्थितियां सामने आ रही हैं। घटना के बाद जहां असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि हम किसी पर आक्रमण नहीं करें, जरूरत पड़ी तो मर कर समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने असम में मिजोरम के प्रति भारी विरोध के बावजूद जातीयतावादी बयान न देकर बेहद नरमी भरे लहजे में अपनी स्थिति को सामने रखा है। ऐसे समय में मिजोरम सरकार अभी भी बेहद आक्रोश दिखाने में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. सरमा के 'नरम रुख' को दरकिनार करते हुए मिजोरम सरकार ने केंद्र को एक पत्र लिखा है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को मिजोरम सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजकर आरोप लगाया कि असम ने मिजोरम पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है।
मिजोरम के गृह सचिव लालबियाक सांगी ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में कहा कि मिजोरम के राष्ट्रीय राजमार्ग-308 के बंद होने के कारण आवश्यक सामानों की आपूर्ति बंद हो गई है।
पत्र में कहा गया है कि असम, राष्ट्रीय राजमार्ग सहित मिजोरम के लिए 26 जुलाई से अन्य मार्गों को अवरुद्ध कर रहा है। पत्र में यह भी कहा गया है कि असम ने पहले भी मिजोरम पर 16 अक्टूबर, 2020 से 11 नवम्बर, 2020 तक आर्थिक नाकेबंदी लगायी थी। नतीजतन, राज्य को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में मिजोरम के गृह सचिव ने शिकायत की कि मिजोरम के भैरवी रेलवे स्टेशन से जोड़ने वाले रेलवे लाइन को भी असम में क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।
पत्र में मिजोरम ने कहा है कि असम के हैलाकांदी जिला में मोहम्मदपुर और रामनाथपुर रेलवे स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन को क्षतिग्रस्त किये जाने के कारण मिजोरम के भैरवी रेलवे स्टेशन तक कोई ट्रेन नहीं पहुंच पा रही है। पत्र में यह भी कहा गया है कि चूंकि रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग केंद्र के दायरे में हैं, इसलिए केंद्र सरकार को इस संबंध में कार्रवाई करनी चाहिए। (हि.स.)
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