अरुणा अग्रवाल
सुस्थिर परिकल्पना के साथ मिलकर काम करने से साहित्य सभा का खोया हुआ गौरव वापस प्राप्त होगा - डॉ. सूर्य हजारिका
रंगिया की रनदिया (शतदल) साहित्य सभा द्वारा हर महीने आयोजित किया जाता आ रहा ' महीने के विशिष्ट अतिथि के साथ वार्तालाप ' कार्यक्रम इसबार 30 मई को रंगिया के ऐतिहासिक राइजमेल कृषक भवन में आयोजित किया। उल्लेखनीय है कि अपनी स्थापना वर्ष से ही असम साहित्य सभा द्वारा क्रमशः स्वर्ण शाखा और शतदल शाखा की मर्यादा प्राप्त रनदिया साहित्य सभा प्रति महीने विशिष्ट अतिथि के साथ वार्तालाप कार्यक्रम आयोजित करती आ रही है। वहीं इस महीने विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ लेखक, शोधकर्ता, गीतकार तथा संगठक पद्मश्री डॉ. सूर्य हजारिका उपस्थित रहे।
इस अवसर पर "रनदिया (शतदल) साहित्य सभा" के सचिव हेमंत कलिता द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में डॉ. हजारिका को फुलाम गामोछा और मानपात्र से सम्मानित किया गया। साथ ही कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित सांस्कृतिक महासभा - असम प्रांत के अध्यक्ष पवित्र कुमार शर्मा, असम साहित्य सभा के पूर्व सहायक सचिव कमल कलिता और साहित्य सभा के सदस्य हरेश्वर डेका को रनदिया (शतदल) साहित्य सभा के सदस्यों ने फुलाम गामोछा से सम्मानित किया।
इस महीने आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. सूर्य हजारिका द्वारा निर्मित वृत्तचित्र "चिर सेनेही मोर भाषा जोनोनी" का प्रदर्शन किया गया। वृत्तचित्र में असमिया भाषा संस्कृति के उत्थान और पतन के इतिहास के साथ 18 वीं शताब्दी से बीते समय तक भाषा साहित्य तथा साहित्य सभा के सभी अधिवेशन सत्रों को प्रस्तुत किया गया है।
पद्मश्री डॉ हजारिका ने पूर्व पुरुषों से प्रारंभ कर अपनी प्रकाशन वाली किताबो के बीच ही उन्होंने जीवन प्रारंभ करने के साथ लेख, संपादन और प्रकाशन आदि बातों के साथ अपने कर्मजीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। विचारों के आदान-प्रदान कार्यक्रम में श्रोताओं से घनिष्ठता के साथ बातें करते हुए डॉ. हजारिका ने उनके विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए और कहा कि एक ऊर्जावान और उत्साही कार्यकर्ता की मदद और मिलकर प्रयास करने से साहित्य सभा का खोया हुआ गौरव वापस मिल पायेगा। समाज जीवन के किसी भी क्षेत्र में व्यक्ति को असमिया भाषा साहित्य की उन्नति में योगदान देना जरूरी है। अपनी बातों में डॉ हजारिका ने रंगिया की रनदिया साहित्य सभा को क्रमशः स्वर्ण शाखा और शतदल शाखा के रूप में स्वीकृती मिलना एक अभिलेख बताया तथा नवयुवकों को आगे आने मौका देकर रनदिया (शतदल) साहित्य सभा ने असम साहित्य सभा में अपना एक स्थान बनाया है इसके लिए शाखा के सभी सदस्यों की तारीफ करते हुए उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह दूसरी शाखाओं के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है। उन्होंने डॉ भूपेन हाजरिका के साथ व्यतीत किये गए 40 बर्षों के सानिध्य की बात बताते हुए कहा कि भूपेन हजारिका की जीवन साधना सम्पूर्ण रूप से संपादन करना किसी के लिए भी संभव नहीं है। तथापि जितना हो सके करने उसकी चेष्टा जारी रखी गई है। वहीं दूसरी ओर कार्यक्रम में उपस्थित अन्य अतिथि सांस्कृतिक महासभा, असम प्रांत के अध्यक्ष पवित्र कुमार शर्मा ने अपने मनोभावों को प्रकाश करते हुए कहा कि विगत कुछ वर्षों से साहित्य सभा का काम काज कुछ धीमा रहा। तालाबन्दी के दौरान इसमें ज्यादा प्रभाव पड़ा। परंतु उस गतिरोध के बीच भी अपनी स्थापना वर्ष में स्वर्ण और शतदल शाखा की मर्यादा प्राप्त करने वाली रनदिया साहित्य सभा सभी साहित्य प्रेमियों के मन में आशा का संचार लाया है।
लगभग तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम के दौरान रंगिया की जानीमानी उभरती गायिका बनश्री देवी ने डॉ. सूर्य हजारिका द्वारा रचित गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम को और अधिक आकर्षक बना दिया।
कार्यक्रम में रनदिया साहित्य सभा के आजीवन सदस्यों के अलावा वरिष्ठ पत्रकार मुकुल कलिता, स्थानीय रीता शर्मा महाविद्यालय की प्राचार्य रूणुमी दत्त डेका, दक्षिण पांडूरी साहित्य सभा के सचिव सरीफुल हुसैन, अनिल चंद्र दास, कैलाश बेजबरुआ, तामूलपुर साहित्य सभा सांस्कृतिक कर्मी अभिजीत दास, कामिनी बैश्य, मृगेन लहकर, लोहित चंद्र कलिता, ध्रुवज्योति कश्यप, नयनमणि डेका, मनोज कुमार नाथ और कई अन्य साहित्यिक प्रेमी भी उपस्थित रहे। इसी बीच कुछ सदस्यों को साहित्य सभा के आजीवन सदस्य का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष प्रतुल भुइयां ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी से असम साहित्य सभा के प्रति रुचि और अपनापन दिखाने का आह्वान किया तथा कार्यक्रम के सफल समापन की घोषणा की।
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