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राष्ट्रीय कवि संगम का बहुभाषी कवि सम्मेलन आयोजित हुआ

 


गुवाहाटी। राष्ट्रीय कवि संगम पूर्वोत्तर प्रांत के सौजन्य से गुवाहाटी प्रेस क्लब में नए सत्र का पहला कार्यक्रम बहुभाषी कवि सम्मेलन अध्यक्ष मनोज चांडक नायाब की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में लेखिका व साहित्यकार अर्चना तिवारी तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में नगर निगम के पार्षद प्रमोद स्वामी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि व विशिष्ठ अतिथि ने मां सरस्वती के चित्र के आगे दीप प्रज्वलित करके किया। इस अवसर पर उनके साथ राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष मनोज चांडक नायाब, महामंत्री पुष्पा सोनी और कार्यक्रम संयोजिका हेमलता गोलछा उपस्थित थी। कार्यक्रम के प्रारंभ में अध्यक्ष श्री चांडक ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम का गत कई वर्षों से निष्क्रिय रहने के पश्चात पुनर्गठित किया गया। जिसका प्रथम कार्यक्रम आज बहुभाषी कवि सम्मेलन के रूप में आयोजित हो रहा है। राष्ट्रीय कवि संगम की 25 प्रांतों में शाखाएं कार्यरत हैं।असम में 7 व पुर्वोत्तर के अन्य राज्यों में 7 शाखाएं वर्तमान कार्यरत है। इस अवसर पर पूर्वोत्तर प्रभारी व संरक्षक तिनसुकिया के मनोज मोदी ने राष्ट्रीय कवि संगम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इससे पहले सर्वानी मुखर्जी ने सरस्वती वंदना की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अर्चना तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि जो कहता है वह कवि है जो नहीं कहता है वह कवि नहीं है। अंतर इतना है कि कवि सजाकर कहता है और आम इंसान बिना सजाए कहता है। अगर आप अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं तो आप भी एक कवि है। राष्ट्रीय कवि संगम कवियों का मंच है। इस को आगे बढ़ाने की जरूरत है।श्री मती तिवारी ने आगे कहा कि बचपन में मेरा हिंदी भाषा के प्रति रुझान था। हिंदी भाषा ने मुझे जितना दिया है, उतना में आज अन्य भाषाओं से नहीं ले पाई हूं ।विशिष्ठ अतिथि प्रमोद स्वामी ने कहा कि राष्ट्र के अंदर स्वाभिमान की भावनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए राष्ट्रीय कवि संगम का गठन किया गया है।साहित्य समाज का दर्पण है और समाज में जो घटनाएं घटती है साहित्यकार अपनी वाणी व अभिव्यक्ति से उन घटनाओं को चित्रित करता है और समाज को एक नई दिशा देता है। समाज पर साहित्य का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। साहित्य समाज को प्रगति के पथ पर ले जाने का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इसके पश्चात कार्यक्रम संयोजिका हेमलता गोलछा व महामंत्री पुष्पा सोनी ने कार्यक्रम का संचालन करती हुई कवियों को कविता पाठ के लिए मंच पर बुलाया। इस कड़ी में नारायण खाखोलिया ने कविता पाठ कर कवि सम्मेलन का प्रारंभ किया। उसके पश्चात लक्ष्मींद्र सिन्हा ने विष्णुप्रिया मणिपुरी भाषा, मालविका राय चौधरी ने असमिया भाषा, पीके ब्रह्मा ने बोडो भाषा और गिरिजा देवी ने असमिया भाषा में कविता प्रस्तुत की। इसके अलावा सोमित्रम, प्रज्ञामाया शर्मा, रतन अग्रवाल सीए, प्रेम कुमार ,विनीता मुदंडा, हरकीरत कोर कलसी, कांता अग्रवाल, दिनकर कुमार, दीपाली सोढ़ी, संपत मिश्र,कंचन शर्मा ने कविता प्रस्तुत की। सभी कवियों को राष्ट्रीय कवि संगम की तरफ से प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। अंशु सारडा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।










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