यूं तो मां के सम्मान और उन्हें स्पेशल फिल कराने के लिए एक दिन काफी नहीं होता है। मां जैसा दुनिया में कोई और नहीं होता, ऐसे में उनके लिए हर दिन को खास बनाना हर बच्चे का मकसद होना चाहिए। मां का ऋण कोई भी कभी नहीं उतार सकता है।मां और बच्चों का ये दिन पूरी दुनिया में मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन के इतिहास के बारे में।
एना एम जारविस वो महिला थीं जिन्होंने अब से करीब 100 साल पहले अमेरीका में मदर्स डे की शुरुआत की थी। उनका जन्म अमेरिका के वर्जिनिया में हुआ। उनकी मां एन रीव्स जारविस एक स्कूल टीचर थी। कहा जाता है कि एक दिन स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हुए उन्होंने कहा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब मां के लिए एक दिन समर्पित किया जाएगा। एना जारविस ने जिस मदर्स डे मनाने की शुरुआत करवाई उसका विचार उन्हें अपनी मां एन रीव्स से मिला था।
मां के निधन के बाद ऐना और उसके दोस्तों ने एक अभियान शुरू किया। जिसमें मदर्स डे के दिन राष्ट्रीय छुट्टी हो ऐसा कहा गया। इसके पीछे ऐना का मकसद था कि बच्चे जबतक उनकी मां जिंदा है तब तक उनका सम्मान करें। उनकी भूमिका की सराहना क रें। सबसे पहला मदर्स-डे 8 मई 1914 को अमेरिका में मनाया गया, तबसे आज तक मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रुप में मनाया जाता है।एना जारविस ने मई के दूसरे रविवार का चुनाव इसलिए किया क्योंकि ये दिन 9 मई के करीब पड़ता था जो कि उनकी मां का निधन हुआ था।
ऐना की मां रीव्स की मौत के 3 साल बाद पहली बार ग्रेफ़ट्न के एंड्र्यूज़ मेथॉडिस्ट चर्च में पहली बार मदर्स डे का आयोजन किया गया। मदर्स डे पर लोग अपनी मां के लिए किए गए त्याग को याद करके उनकी सराहना करें ये ऐना चाहती थीं।
मदर्स डे के व्यवसायीकरण का एना जारविस ने किया विरोध
हालांकि बाद में एना मदर्स डे का विरोध करने लगी थी। इसकी वजह मदर्स डे का व्यवसायीकरण था। उन्होंने इसके खिलाफ अभियान भी चलाया। वो जबतक जिंदा रहीं मदर्स डे का व्यवसायीकरण करने के खिलाफ रहीं। उन्होंने मई का दूसरा दिन, मदर्स डे' नाम से कॉपीराइट भी करवा लिया ताकि कोई और इस शब्द का इस्तेमाल न कर सके।
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