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आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज ने रक्षाबंधन पर्व की महत्व के बारे में बताया

 


गुवाहाटी। गुवाहाटी के इतिहास में पहली बार फैंसी बाजार स्थित महावीर धर्मस्थल में असम सरकार के राजकीय अतिथि आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज ससंघ (13 पिच्छी) के सान्निध्य में रक्षाबंधन विधाा एवम श्रेयांसनाथ मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया।


इस अवसर पर महावीर धर्मस्थल में रक्षाबंधन महापर्व के पावन अवसर पर श्री जी के अभिषेक, शांतिधारा उपरांत रक्षाबंधन विधान का भव्य आयोजन किया गया है जिसके तहत 700 मुनियों को‌ अर्घ समर्पित किया गया।साथ ही जैन धर्म के 11 वें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के पावन अवसर पर इसी स्थल पर श्रेयांसनाथ विधान का भी आयोजन किया गया। 


उक्त कार्यक्रम की कड़ी में एक और विशेष कार्यक्रम रक्षाबंधन के इस पुनीत पावन अवसर पर आचार्य सहित संघ के सभी साधुओं की पिच्छी में पुण्यार्जक परिवारों की ओर‌ से राखी बांधी गयी। जिसके तहत आचार्य श्री की पिच्छी पर पुण्यार्जक परिवारों द्वारा तीन राखियां, मुनि प्रभाकर सागर जी महाराज की पिच्छी पर एक राखी तथा बाकी सभी साधुओं की पिच्छिका पर एक-एक चांदी की राखी बांधी गई इस कड़ी में स्वर्ण राखी बांधने का सौभाग्य संतोष कुमार आलोक कुमार छाबड़ा, रत्न राखी बांधने का सौभाग्य नेमीचंद चंद्रकला छाबड़ा और चांदी की राखी बांधने का सौभाग्य झूमर मल पन्नालाल गंगवाल हाथीगोला परिवार को प्राप्त हुआ। उक्त राखी पुण्यार्जक परिवार की सुख-समृद्धि हेतु सात दिन पश्चात आचार्य श्री के कर कमलों से पुण्यार्जक परिवारों को वापस कर दी जाएगी।इस अवसर पर आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि इस दिन विष्णु कुमार मुनिराज ने 700 मुनियों पर हो रहे उपसर्ग को दूर करने के कारण जैन धर्म में यह पर्व अत्यंत आस्था और उत्साह का प्रतीक माना गया है। यह पर्व धर्म और धर्मायतनों की रक्षा का प्रतीक है। यह पर्व‌ बहन‌ और भाई के प्यार और उसकी रक्षा का प्रतीक है। इस दिन बहन‌ अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। अतः रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का सबसे अधिक महत्व कहा गया है। समिति के मुख्य प्रचार प्रसार संयोजक ओमप्रकाश सेठी ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान जनेऊ संस्कार संपन्न कराया गया तथा जैन संस्कार साधना शिविर के फार्म का विमोचन भी समाज के गण मान्य व्यक्तियों द्वारा करवाया गया। इस अवसर पर 51 फीट की राखी भी आचार्य श्री को प्रदान की गई। प्रचार सचिव किशोर काला ने बताया कि राखी बांधने का क्रम दोपहर 2:30 बजे से पुनः निरंतर चलता रहा। जिसमें सभी समाज बंधुओ ने आचार्य सहित तेरह पिच्छीयों को रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद लिया। आगामी कल भी यह कर्म जारी रहेगा।

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