भारत का मतलब प्रकाश देने वाला देश: आचार्य प्रमुख सागर जी
गुवाहाटी। हमारा भारत देश ऋषि मुनियों का देश है। यही भारत देश हमारे तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का भी देश है। शकुंतला के बेटे भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पुकारा जाने लगा था। जो हमारी पूर्व संस्कृति है ,जो सदियों से चली आ रही है। उसे हम धूमिल क्यों करें ? हमारा भारत भारत देश ही रहना चाहिए। इससे पूर्व हमारे गुरु आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने भी यह आवाज उठाई थी। यह बातें आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज ने आज पत्रकारों के समक्ष कही। आचार्य श्री ने आगे कहा की गत 1 सितंबर को धर्म सभा कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जब कार्यक्रम में दर्शनार्थ आए तब उन्हें भी भारत को भारत रहना चाहिए यह बात मैंने अपने संबोधन में कही थी। जिसे मोहन भागवत ने समर्थन करते हुए उसे सरकार के प्रतिनिधियों तक पहुंचाने की बात कही।भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह साबित कर दिया है कि जब संतों के मुंह से आवाज निकलती है तो वह बात सत्य हो जाती है। उन्होंने भारत के नाम पर सरकारी मोहर लगाकर बहुत ही साधुवाद का कार्य किया है।हमारा भारत देश प्रकाश देने वाला देश है। भा का मतलब प्रकाश और रत का मतलब देने वाला होता है। अतः इस बात पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए।विदेशियों ने जो नाम दिया उसे लेकर लड़ाई क्यों हो रही है ?असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने भी कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा निकालकर फिर भारत के नाम पर लड़ना कहां तक तर्कसंगत है।इसे कहां तक सही माना जाए। इस बात को वोट बैंक का स्थान बनाएं। हम भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ने का प्रयास करें। गोरतलाब है की गत एक सितंबर को महावीर धर्मस्थल में एक धर्म सभा में आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन संबोधन में भारत को भारत ही रहने देना चाहिए इस बात पर जोर देते हुए उपस्थित श्रोताओं के साथ-साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का समर्थन भी मांगा था। मोहन भागवत ने कहा कि हम सरकार नहीं है मगर सरकार तक आपकी बातें हम पहुंचा देंगे। मोहन भागवत ने भी आचार्य श्री की बातों का समर्थन किया था।
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