गुवाहाटी। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की सौजन्य से छत्रीबीडी स्थित परशुराम सेवा सदन में कथा व्यास साध्वी सुश्री दीपिका भारती के मुखारविंद से सात दिवसीय राम कथा अमृत का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ फैंसी बाजार साधना मंदिर से कलश यात्रा के साथ हुआ। कलश यात्रा साधना मंदिर से चार नंबर रेल गेट आठगांव होती हुई परशुराम सेवा सदन में कथा स्थल पर समापन हुई।कथा के मुख्य यजमान चिरंजी सराफ एवं सहयोगी यजमान अजय मोर ने भागवत ग्रंथ की पूजा कर व्यास पीठ पर विराजमान किया। इस अवसर पर व्यास पीठ पर विराजमान साध्वी दीपिका भारती ने प्रथम दिन की कथा सुनाते हुए कहा कि वह प्रभु जिनकी माया के वशीभूत सारा जगत है। जिनके चरण कमल ही भवसागर से तरने की इच्छा रखने वाले की नौका है। उस श्री राम की हम वंदना करते हैं। विश्व भर में सैकड़ो रामायण सैकड़ो भाषाओ मे रचना की गई।मगर मुख्य बाल्मीकि रामायण, अवधी भाषा की तुलसी रामायण, भावार्थ रामायण के आधार पर ही राम कथा को लिखा गया। श्री राम की कथा साधारण नहीं है। इसके श्रवण मात्र से ही मन पावन हो जाता है। यह कथा जीवन भर के लिए प्रेरणा देने वाली है। यह कथा साधारण मनुष्य की कथा नहीं है। बल्कि स्वयं भगवान राम की कथा है। भगवान राम त्रेता युग के ही नहीं थे बल्कि आज भी उनका प्रभाव बना हुआ है। जब कोरोना महामारी प्रारंभ हुई और संपूर्ण राष्ट्र में लॉकडाउन कर दिया गया था। उस समय दूरदर्शन के सौजन्य से 28 मार्च को रामायण धारावाहिक का प्रचार किया गया। 19 दिन बाद दूरदर्शन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर घोषणा की कि रामायण को दूरदर्शन पर आठ करोड लोगों ने रामायण को देखा। श्री राम की रामायण को पूरे देश ने अपनाया। भारत के अलावा म्यांमार, जावा, थाईलैंड और कंबोडिया में भी राम कथा की रचना की गई है। कंबोडिया के मंदिर में तो राम के चित्र भी अंकित है। विभिन्न देशों ने राम को अपना संस्कृत पुरुष भी माना है।आज प्रथम दिन परशुराम सेवा सदन का सभागार श्रोताओं से भरा हुआ था।






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