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असम की शान राजस्थानी रचनाकार कार्यक्रम मे पुस्तक विमोचन की लगी झड़ी

 


 

जोरहाट। असम में भाषा और साहित्य के प्रचार के लिए संस्थापक अध्यक्ष ममता गिनोडिया की अध्यक्षता में स्थापित पूर्वोत्तर मारवाड़ी साहित्य अकादमी का प्रथम स्थापना दिवस जोरहाट के पदूमनी गांव के एक रिसॉर्ट में संपन्न हुआ। जिसमें पूर्वोत्तर प्रांत से 65 से भी अधिक साहित्यकार, रचनाकार, कवि एवं पत्रकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यकार निर्मल साहेवाला, विशिष्ठ अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश शर्मा, असम साहित्य सभा जोरहाट शाखा के अध्यक्ष जुगल किशोर अग्रवाल, लेखिका व कवियत्री निशा नंदिनी भारतीय व महासचिव व कार्यक्रम संचालक कंचन शर्मा ने दीप प्रज्वलित करके किया। कार्यक्रम के प्रथम चरण में सरस्वती वंदना की गई। कार्यक्रम के शुरुआत में वयोवृद्ध कवि स्व.शंकर लाल पारीक और कवियत्री, लेखिका स्व. संतोष मोदी की स्मृति में एक मिनट का मौन धारण किया गया।उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि निर्मल साहेवाला ने कहा कि आज का साहित्य बिल्कुल बदल चुका है। 70 साल पहले साहित्य में मनोरंजन का साधन था। उस समय कथा, कहानी, चुटकुले, व्यंग आदि साहित्य में समाहित रहता था। मगर आज के साहित्य मे काफी बदलाव आ चुका है। साहित्य की परिभाषा जीवन की आलोचना ही है। जीवन को छोड़कर साहित्य नहीं हो सकता। अध्यक्ष ममता गिनोडिया ने राजस्थानी साहित्य रचनाकार की स्थापना के औचित्य के बारे में समझाते हुए कहा कि राजस्थानी साहित्यकार, कवि, लेखकों को आगे लाने के लिए इस संस्था का गठन किया गया है। जुगल किशोर अगरवाला ने कहा कि साहित्य साहित्यकार की समृद्धि, विवेकधर्मिता, संवेदनशीलता का प्रतिबिंब होता है। साहित्य सुख, दुख,उत्थान, पतन की गाथा है। चंद्र प्रकाश शर्मा ने पुराणो का उदाहरण देते हुए साहित्य रचना को पौराणिक काल से जोड़ते हुए कई तथ्य प्रस्तुत किये। लेखिका व कवियत्री निशा नंदिनी भारतीय ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए महिलाओं को साहित्य में, लेखन के क्षेत्र में आगे आने के लिए आह्वान किया। इस अवसर पर आयोजित अतिथि सम्मान सत्र में पत्रकारों एवं समाज के विशिष्ठ व्यक्तियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में उपस्थित कवि व रचनाकारों की पुस्तक विमोचन की झड़ी लग गई। इस अवसर पर असम की शान राजस्थानी रचनाकार पुस्तक जिसमें 66 रचनाकारों की रचना को समाहित किया गया था। उसका विमोचन मंचस्थ सभी अतिथियों ने किया। इसके पश्चात ममता गिनोडिया की पुस्तक क्षणिकाएं, प्रभु दयाल सिवोटीया की दो पुस्तक, रतन अग्रवाल की पुस्तक बातें कुछ मेरी कुछ आपकी, शुचिता अग्रवाल की 101 छंद कविताएं, विमला शर्मा की दो पुस्तक अबोध प्रबोध व बोधा बहूटी,निशा नंदनी भारतीय की भजनों का संग्रह, कंचन शर्मा की दो पुस्तक स्वर्ण पांखी (कहानी संग्रह) व कुछ मेरी कलम से (लेख संग्रह)कृष्ण कुमार घीया की पुस्तक अनुभूति के विमोचन के अलावा तृप्ति काबरा की पुस्तक फिर एक बार व ऊषा टीबडेवाल ने अपनी पुस्तक का वितरण भी सभासदों के बीच किया। शिवसागर की रचनाकार कवित्रियों के संगठन ने ममता गिनोडिया का आभार प्रकट करते हुए उसका सम्मान किया। इसके अलावा सखी साहित्य परिवार से दीपिका सुतोदिया, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन असम प्रदेश, जोरहाट साहित्य सभा, जोरहाट महानगर आंचलिक लेखिका समाज, राजस्थानी साहित्य रचनाकार तिनसुकिया शाखा ने ममता गिनोडिया का संस्था के गठन के प्रति आभार प्रकट करते हुए फूलाम गमछा व दुपट्टा पहना कर सम्मान किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में निशा नंदिनी भारतीय के संचालन में उपस्थित कवियों के कविता पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन निशा नंदिनी भारतीय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कंचन शर्मा ने दिया।

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