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शंकरदेव की धरती को मिली नई पहचान, होजाई बनेगा श्रीमंत शंकरदेव नगर


असम के ऐतिहासिक होजाई जिला मुख्यालय का नाम बदलने का महत्वपूर्ण फैसला राज्य मंत्रिमंडल ने लिया है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की कि अब इसे श्रीमंत शंकरदेव नगर के नाम से जाना जाएगा। यह नाम असम के महान संत और समाज सुधारक श्रीमंत शंकरदेव की स्मृति में पुनः स्थापित किया गया है, जो पहले भी इस क्षेत्र की पहचान था।


होजाई का ऐतिहासिक महत्व

होजाई न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर असम की समृद्ध विरासत का प्रतीक है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र वैष्णव धर्म और असमिया संस्कृति के प्रसार का प्रमुख केंद्र रहा है। श्रीमंत शंकरदेव ने अपनी शिक्षाओं और सामाजिक सुधारों के माध्यम से इस क्षेत्र को गहराई से प्रभावित किया था।


होजाई भारत के असम राज्य का एक प्रमुख शहर और जिला है। यह क्षेत्र अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्व के लिए जाना जाता है। होजाई का इतिहास असम की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से गहराई से जुड़ा हुआ है।


इतिहास


1. प्राचीन काल:


होजाई का नाम "होज़ाई" एक जनजातीय समुदाय से आया है, जो इस क्षेत्र में बसते थे।


यह क्षेत्र कामरूप राज्य का हिस्सा था, जो प्राचीन असम का एक महत्वपूर्ण साम्राज्य था।


माना जाता है कि यहाँ पर आर्यों और बाद में तिब्बती-बर्मी मूल के लोगों का प्रभुत्व रहा।


2. मध्यकालीन काल:


अहोम साम्राज्य (1228-1826) के दौरान होजाई क्षेत्र पर अहोम शासकों का प्रभाव रहा।


क्षेत्र चाय बागानों, हाथ से बने बांस और बेंत के उत्पादों के लिए प्रसिद्ध हुआ।


यह क्षेत्र स्थानीय और बाहरी व्यापार का केंद्र भी था।




3. आधुनिक काल:


ब्रिटिश शासन के दौरान, होजाई ने असम के अन्य हिस्सों के साथ चाय बागानों के माध्यम से वैश्विक पहचान बनाई।


यह क्षेत्र असम में सांस्कृतिक आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान देने वाला रहा।


भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व


भौगोलिक स्थिति: होजाई मध्य असम में स्थित है और इसके पास लुमडिंग और नागांव जैसे प्रमुख क्षेत्र हैं।


सांस्कृतिक विविधता:


होजाई विभिन्न जातीय समूहों का घर है, जैसे कि बोडो, कार्बी, असमिया, बंगाली और मारवाड़ी।


यह क्षेत्र अपने संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और पारंपरिक रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है।


आधुनिक होजाई


2016 में इसे असम के नए जिलों में से एक घोषित किया गया।

यह शिक्षा, कृषि और व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।


यहां की लोक संस्कृति, जैसे बिहू नृत्य और पारंपरिक भोजन, असम की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं।


होजाई का इतिहास और उसकी संस्कृति इस क्षेत्र की विविधता और विरासत को प्रदर्शित करता है। यह असम की समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अभिन्न हिस्सा है।


नाम परिवर्तन का उद्देश्य

सरकार का यह निर्णय होजाई की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करने का प्रयास है। नाम बदलकर श्रीमंत शंकरदेव नगर करने का उद्देश्य न केवल संत शंकरदेव को सम्मान देना है, बल्कि उनकी शिक्षाओं और योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाना भी है।


जनता की प्रतिक्रिया

नाम परिवर्तन के इस फैसले ने स्थानीय लोगों के बीच गर्व और उत्साह का माहौल पैदा कर दिया है। होजाई अब असम की सांस्कृतिक पहचान को और गहराई से प्रदर्शित करेगा और श्रीमंत शंकरदेव के आदर्शों को जीवित रखेगा। सरकार के इस कदम को असम की सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।

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