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मारवाडी सम्मेलन ने समाज सुधार एवं समरसता पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया

 



गुवाहाटी। मारवाड़ी सम्मेलन गुवाहाटी शाखा के कार्यालय में अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की उप समिति राष्ट्रीय समाज सुधार एवं समरसता की एक सभा समाज सुधार एवं समरसता विषय पर सम्मेलन के प्रबुद्धजनों के साथ विचार विमर्श एवं समसामयिक चुनौतीयों पर चिन्तन मंथन करने हेतु पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन के आतिथ्य में आयोजित की गई। सभा का संचालन करते हुए प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) रमेश कुमार चांडक ने सभी का स्वागत करते हुए सभा के सभापतित्व के लिए पवन गोयनका, चेयरमैन-राष्ट्रीय समाज सुधार एवं समरसता समिति, विशिष्ट उपस्थिति के रूप में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (पूर्वांचल) मधुसूदन सिकरिया तथा पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाo श्याम सुंदर हरलालका को ससम्मान मंचासीन करवाया एवं फुलाम गोमोछा पहना कर प्रांत की और से अभिनंदन किया। पवन गोयनका ने सभा के उद्देश्य की व्याख्या करते हुए सम्मेलन के आरम्भिक काल से आज तक की यात्रा का सारांश रखते हुए इसके गठन की वजह घटकों में बिखरे मारवाड़ी समाज को सांगठनिक रुप से एक कर समाज की शक्ति बनकर आसक्तियों, कुरितियों पर समाज को जागरूक कर समाजिक चेतना जगाना तथा अन्य समस्याओं में समाज का साथ लेकर समाज के हित में आवाज उठाना प्रमुख कार्य रहा है। इसके अलावा सामाजिक सोहार्द तथा आपसी भाईचारे को और प्रगाढ़ करते हुए सुख दुःख में साथ खड़ा होना है। उन्होंने उदाहरण सहित समाज सुधार, चेतना तथा समाजिक समरसता की की ई घटना क्रमों को तथा सुंदर प्रेरणादायक उदाहरण के साथ सदन को प्रेरित किया। इसके बाद विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मधुसूदन सिकरिया तथा पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. श्याम सुंदर हरलालका ने अपने सार गर्भित उद्बोधन रखे। सभापति महोदय ने गुवाहाटी में मई 2023 में सम्पन्न हुये 27 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सर्व सम्मति से पारित तीन प्रस्ताव क्रमश : मायड़ भाषा का ज्ञान, घर परिवार तथा अपनों में बोलचाल की भाषा के रूप में बढ़ावा देना, नाटकों, साहित्य तथा कवि सम्मेलनों में मायड़ भाषा को बढ़ावा देना। प्री-वेडिंग फोटो शुट, सड़कों पर नृत्य, ड्रेस कोड का विरोध करना, विवाह समारोह में मद्यपान निषेध करना आदि पर समाज में अलख जगाने तथा इन्हें लागू कर समाज की दशा कैसे संवरें इस पर चिंतित कर निष्कर्ष पर पहुंचना जरूरी है। 


सदन से विचार तथा सुझाव दोनों का समावेश करते हुए  सभी प्रबुद्धजनों ने समस्या के साथ साथ उनके निदान पर भी अपना मत रखा। विचार सांझा करने में प्रांतीय संयुक्त मंत्री बिरेन अग्रवाल (मोरान हाट), पूर्व प्रांतीय महामंत्री तथा राष्ट्रीय समिति सदस्य राजकुमार तिवारी, प्रांतीय संयुक्त मंत्री मनोज जैन काला, मारवाड़ी सम्मेलन गुवाहाटी महिला शाखा सचिव मंजू भंसाली, पूर्व प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) अरूण अग्रवाल, प्रांतीय कोषाध्यक्ष श अशोक अग्रवाल सी ए, सम्मेलन बंगाईगांव शाखा अध्यक्ष श्री राजेन्द्र हरलालका, प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) श्री रमेश कुमार चांडक ने अपने विचार सांझा किए। सदन में उपस्थित मंडलीय उपाध्यक्ष सुशील गोयल, मंडलीय सहायक मंत्री माखनलाल अग्रवाल, गुवाहाटी महिला शाखा पूर्व अध्यक्ष मंजू पाटनी, कामरूप शाखा सचिव श् संजय खेतान, गुवाहाटी ग्रेटर शाखा सचिव अरविन्द सराफ ने परिचर्चा में अंशग्रहण किया। सभा मे जन जागरण में तीन मुख्य सुझावों को प्रस्ताव के रूप में रखा। जो इस प्रकार है बच्चों में बचपन से ही भारतीय संस्कार भरने का प्रस्ताव:


हमारा समाज तभी सशक्त और समृद्ध हो सकता है जब हम बच्चों में बचपन से ही अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्यों का संचार करें। यह आवश्यक है कि परिवार, विद्यालय, और समुदाय मिलकर बच्चों को ईमानदारी, अनुशासन, सहानुभूति, सहनशीलता और सम्मान जैसे गुण सिखाने का प्रयास करें। इसके लिए विद्यालयों में नैतिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए और अभिभावकों को भी इस दिशा में प्रोत्साहित किया जाए। समाजिक संगठन कार्यशाला तथा संस्कार शिविर का आयोजन करें। महिलाओं की समाज में भागीदारी बढ़ाने का प्रस्ताव। महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, और नेतृत्व के अवसर प्रदान कर उनकी भागीदारी बढ़ाने का संकल्प लिया जाना चाहिए। इसके लिए सामाजिक और कानूनी बाधाओं को दूर किया जाए और समानता को प्रोत्साहित किया जाए। महिला सशक्तिकरण के लिए जागरूकता अभियान, कौशल विकास कार्यक्रम, और नीतिगत बदलाव अनिवार्य हैं।बच्चों और युवाओं में भारतीय तीज-त्योहारों, व्रत, पूजा-पाठ का प्रचार प्रसार और उनके उद्देश्यों एवं महत्त्व की जानकारी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव। इन परंपराओं के पीछे छिपे आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों की जानकारी से उनकी जड़ों से जुड़ाव बढ़ेगा और उनमें हमारी संस्कृति के प्रति गर्व का भाव जागृत होगा।


सभा मे कई सुझाव भी आये

जिसमे मुख्य रूप से हमारी कार्यशालाओं में, हमारे किसी उत्सव को मनाते हुए और सामुदायिक केंद्रों में तीज-त्योहारों और धार्मिक परंपराओं पर आधारित विशेष सत्र आयोजित किए जाएँ।


बच्चों और युवाओं को त्योहारों की कहानी, पौराणिक संदर्भ तथा उनके पीछे छिपे उद्देश्यों के बारे में रोचक तरीके से सिखाया जाए।परिवारों में त्योहार मनाने के पारंपरिक तरीके अपनाए जाएँ, जिसमें बच्चों से सक्रिय भागीदारी करवायें।डिजिटल माध्यमों से तथा सोशल मीडिया का उपयोग कर सांस्कृतिक ज्ञान का प्रसार किया जाए।इस प्रस्तावों का उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित तथा सजीव रखना है। तथा एक सशक्त, संतुलित और नैतिक समाज का निर्माण करना है। जिससे भविष्य में सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगाया जा सके।सभी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित एवं गृहीत किये गये।‌धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात सभा को विराम दिया गया।

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