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लखीमपुर में पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन के प्रांतीय अध्यक्ष काबरा का दौरा, प्रेरणादायक सभा संपन्न

 




लखीमपुर से राजेश राठी की रिपोर्ट 

लखीमपुर। लखीमपुर शहर के गोपीनगर कॉलोनी स्थित मंच भवन में आज दोपहर 3:30 बजे मारवाड़ी मारवाड़ी युवा मंच के कार्यालय सभागार में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और उत्साहपूर्ण सभा का आयोजन किया गया। इस सभा की अध्यक्षता मारवाड़ी सम्मेलन के लखीमपुर शाखाध्यक्ष श्री बलवान शर्मा ने की, जबकि सभा का संचालन श्री नरेश दिनोदिया द्वारा किया गया। सभा की शुरुआत भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि सभा में उपस्थित सभी व्यक्तियों के लिए सकारात्मक ऊर्जा और मंगलकामनाओं का वाहक भी बना। इसके बाद, मारवाड़ी सम्मेलन की महिला शाखा द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत ने सभा में एक अत्यंत भक्तिमय और समर्पित वातावरण का निर्माण किया, जिसमें अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।


सभा में प्रमुख रूप से उपस्थित थे, पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन के प्रांतीय अध्यक्ष श्री कैलाश काबरा, प्रांतीय उपाध्यक्ष (मुख्यालय) श्री रमेश चांडक, लखीमपुर शाखा के अध्यक्ष श्री बलवान शर्मा, महिला शाखा की उपाध्यक्षा श्रीमती सुषमा लखोटिया, प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री ओम प्रकाश पचार, मंडलीय सहसचिव श्री राजकुमार शराफ, मंडलीय उपाध्यक्ष श्री छतरसिंह गिडिया, प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री मानिक लाल दमानी और मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष श्री आरव लखोटिया। इन सभी प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मंच पर सम्मानित किया गया और उन्हें तालियों की गड़गड़ाहट से अभिवादन किया गया, जो उनके योगदान और समाज के प्रति समर्पण की सराहना का प्रतीक था।


सभा में मारवाड़ी सम्मेलन के मंडलीय सह सचिव श्री राजकुमार शराफ ने सभा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रांतीय अध्यक्ष श्री कैलाश काबरा और उपाध्यक्ष श्री रमेश चांडक, अपने सहयोगियों और मण्डलीय पदाधिकारियों के साथ 15 से 17 नवम्बर तक त्रिदिवसीय दौरे पर हैं, और आज वे लखीमपुर शाखा के औपचारिक दौरे पर पधारे हैं। इस अवसर पर सामाजिक एवं सांगठनिक विषयों पर विचार-विमर्श हेतु यह सभा आयोजित की गई थी। उनके अनुसार, यह दौरा समाज की स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे समाज को एक दिशा मिल सके।


सभा के दौरान मण्डल "ग" के उपाध्यक्ष श्री छतरसिंह गिडिया ने प्रांतीय अध्यक्ष श्री कैलाश काबरा की असाधारण नेतृत्व क्षमता की सराहना की। उन्होंने श्री काबरा को मारवाड़ी सम्मेलन का सबसे ऊर्जावान और प्रेरणादायक अध्यक्ष बताते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासों और निष्ठा के कारण समाज में एक नई चेतना और ऊर्जा का संचार हुआ है। श्री गिडिया ने यह भी कहा कि श्री काबरा जिस समर्पण और उत्साह के साथ समाज के उत्थान में लगे हुए हैं, वह दूसरों को प्रेरित करता है और कार्यकर्ताओं में कार्य करने की नई प्रेरणा भरता है। उन्होंने प्रसन्नता के साथ बताया कि गोहपुर में सम्मेलन की शाखा खुलना प्रांतीय अध्यक्ष महोदय के इस दौरे की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।


सभा में पूर्व शाखा अध्यक्ष श्री रामेश्वर तापड़िया ने भी अपने विचार रखे और लखीमपुर शाखा की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर अन्य शाखाओं में समाजिक कार्यों में तीव्र गति से प्रगति हो रही है, वहीं लखीमपुर शाखा में अपेक्षित सक्रियता का अभाव है। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि प्रांतीय अध्यक्ष के आगमन पर भी लखीमपुर शाखा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपेक्षाकृत कम संख्या में उपस्थित थे। उनका मानना था कि यदि पदाधिकारी ही सक्रिय नहीं होंगे, तो साधारण सदस्य को प्रेरित करना बहुत कठिन होगा। उन्होंने प्रांतीय नेतृत्व से इस दिशा में और अधिक सक्रियता की अपील की, ताकि समाज के कार्यों में गति लाई जा सके।


प्रांतीय अध्यक्ष श्री कैलाश काबरा ने सभा को संबोधित करते हुए समाज के सामने एक गंभीर सवाल रखा। उन्होंने कहा, "ऐसा क्या कारण है कि असमिया समाज अपने महान व्यक्तित्व, जैसे ज्योतिप्रसाद अग्रवाला को रूपकुंवर ज्योतिप्रसाद अग्रवाला के नाम से सम्मानित करता है, वही दूसरी तरफ हमारे समाज के लोगों को 'अनाओखोमिया' कहकर अपमानित किया जाता है, इस पर उन्होंने समाज बंधुओ से अपने अंदर झांक कर अपने आप मंथन करने का आग्रह किया और उनसे यह पूछा कि क्या हम असम में रहते हुए असमिया संस्कृति और भाषा का सम्मान करने में सक्षम हैं या नही?" उन्होंने यह सवाल समाज के आत्ममंथन के लिए उठाया और कहा कि हमें इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर हम असमिया समाज से सम्मान की अपेक्षा करते हैं, तो हमें भी असम की सांस्कृतिक धारा में अपने आप को समाहित करना होगा। हमें असम की भाषा, परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रति सम्मान और समझ बढ़ानी होगी।


श्री काबरा ने आगे कहा कि हमें महीने में कम से कम एक बार नामघर जाकर कीर्तन में भाग लेना चाहिए, ताकि हम असमिया संस्कृति से और अधिक जुड़ सकें। उन्होंने समाज को यह समझाने की कोशिश की कि यदि हम असम की भूमि पर रहते हुए भी असमिया समाज से अच्छे संबंध स्थापित करना चाहते हैं, तो हमें उनके रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक गतिविधियों का सम्मान करना और उनमें सक्रिय रूप से भाग लेना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि गुवाहाटी में समाज की बच्चियों के लिये छात्रावास की कमी अब पूरी होने जा रही है। निकट भविष्य में यह छात्रावास समाज को समर्पित कर दिया जायेगा।


राजेश राठी ने सभा में एक महत्वपूर्ण विचार रखा। उन्होंने कहा कि यदि हम असमिया समाज के साथ अपनी सांस्कृतिक और भाषाई साझेदारी को बढ़ाना चाहते हैं, तो हमें अपनी शाखाओं से बिहू के समय एक हुसोरी दल (बिहू दल) तैयार करना चाहिए, जो नामघर से लेकर लोगों के घरों तक जाकर बिहू गीत प्रस्तुत करे। इससे न केवल असमिया संस्कृति को सम्मान मिलेगा, बल्कि हमारे समाज की सामाजिक स्थिति भी मजबूत होगी। इसके अलावा, हमें असमिया भाषा पर अपनी पकड़ और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि हमारे समाज और असमिया समाज के बीच भाईचारे का वातावरण और भी प्रगाढ़ हो सके।


सभा का समापन मारवाड़ी सम्मेलन के मंडलीय सहसचिव श्री राजकुमार शराफ ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए किया, और अध्यक्ष श्री बलवान शर्मा ने राष्ट्रीय गान के साथ सभा की औपचारिक समाप्ति की घोषणा की।


यह सभा समाज में एकजुटता, समर्पण और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने का एक प्रभावी मंच साबित हुई। उपस्थित सभी लोगों ने यह संकल्प लिया कि वे न केवल अपने समाज के लिए, बल्कि असम की सांस्कृतिक धारा में अपनी भागीदारी बढ़ाकर एक सशक्त और सम्मानित समाज की दिशा में कार्य करेंगे।

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