गुवाहाटी से विशेष रिपोर्ट
गुवाहाटी। असम की राजधानी गुवाहाटी में "राजस्थान भवन" के निर्माण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। यह भवन प्रवासी राजस्थानियों के लिए न केवल सुविधा का केंद्र बनेगा, बल्कि यह असम और राजस्थान के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक रिश्तों को भी नई ऊँचाई देगा। शनिवार को असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा और राजस्थान फाउंडेशन असम क्षेत्र के अध्यक्ष, प्रख्यात उद्योगपति और समाजसेवी रतन शर्मा के बीच इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने राजस्थान भवन की आवश्यकता को न केवल समझा, बल्कि उसे संवेदनात्मक दृष्टि से एक जरूरी परियोजना के रूप में देखा। उन्होंने कहा:
"राजस्थान से जब भी कोई अतिथि असम आता है, वह कामाख्या देवी के दर्शन ज़रूर करता है। इसलिए गुवाहाटी में राजस्थान भवन के लिए हम एक अच्छी और उपयुक्त जगह उपलब्ध कराएंगे।"
मुख्यमंत्री के इस आश्वासन ने राजस्थान से आने वाले श्रद्धालुओं और प्रवासियों के मन में गहरी संतुष्टि और उत्साह भर दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि असम सरकार इस भवन के निर्माण को प्राथमिकता के आधार पर देखेगी।इस बैठक के दौरान, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा इस परियोजना को लेकर लिखा गया पत्र असम के मुख्यमंत्री को सौंपा गया, जिसे डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा ने तत्क्षण मुख्य सचिव को अग्रेषित कर दिया। यह त्वरित प्रशासनिक कार्यवाही दर्शाती है कि यह पहल अब कागजों में नहीं, बल्कि वास्तविकता में साकार होने की दिशा में अग्रसर है।राजस्थान भवन की इस पहल के सूत्रधार रतन शर्मा ने असम सरकार के सहयोग के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि "यह निर्णय असम सरकार की दूरदृष्टि और संवेदनशीलता को दर्शाता है। राजस्थान भवन न केवल प्रवासी राजस्थानियों का केंद्र होगा, बल्कि यह एकता, श्रद्धा और सेवा का प्रतीक भी बनेगा।"रतन शर्मा ने यह भी उम्मीद जताई कि भवन का निर्माण शीघ्र शुरू होगा और यह गुवाहाटी आने वाले सभी राजस्थानियों के लिए गौरव और आत्मीयता का स्थान होगा।गौरतलब है कि गुवाहाटी में कामाख्या देवी मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है और राजस्थान से हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में एक समर्पित राजस्थान भवन न केवल आवासीय सुविधा देगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक आयोजनों और सामाजिक संवाद का केंद्र भी बनेगा।राजस्थान भवन भविष्य में असम और राजस्थान के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य करेगा, जहाँ दोनों राज्यों की परंपराएँ, रीति-रिवाज और मेल-जोल को बढ़ावा मिलेगा। यह भवन राजस्थानी समाज की पहचान, संगठन और योगदान का भी सशक्त प्रतीक बनेगा।राजस्थान भवन की यह पहल केवल एक भवन निर्माण की योजना नहीं, बल्कि यह संवेदनशील शासन, सामाजिक समर्पण और सांस्कृतिक एकता की मिसाल है। अब उम्मीद की जा रही है कि दोनों राज्यों के बीच सहयोग से यह परियोजना शीघ्र ही धरातल पर उतरेगी और राजस्थानियों के गौरव का प्रतीक बनेगी।
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