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एटीएमआरएफ के सौजन्य से मुनिवृंद के सानिध्य में गुवाहाटी विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में दिव्यांग अध्ययन कक्ष का अनावरण

 


गुवाहाटी। गुवाहाटी विश्वविद्यालय हैंडिक लाइब्रेरी में मुनि श्री डॉ ज्ञानेंद्र कुमार जी, मुनि श्री रमेश कुमार जी  के पावन सान्निध्य में दिव्यांग अध्ययन कक्ष का अनावरण किया गया। पहली बार किसी जैन संस्था ने विश्वविद्यालय में इस प्रकार से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है ।


इससे पूर्व चारो मुनि वृंद आज प्रात: गुवाहाटी से मंगल विहार करके लगभग ८:१५ बजे विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में पधारे एव आचार्य श्री महाप्रज्ञ दिव्यांग अध्ययन कक्ष तथा पांडुलिपि कक्ष का गहनता से निरक्षण किया ।विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित भव्य उद्धघाटन समारोह में मुनि वृन्द के द्वारा नमस्कार महामंत्र के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया. तत्पश्चात   विश्वविद्यालय के छात्रो ने विश्वविद्यालय गीत का संगान तथा ट्रस्ट के अध्यक्ष  विजय सिंह डोसी द्वारा आज के समारोह में उपस्थित मुनि प्रवर, गुवाहाटी विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो॰ डा॰ ननी गोपाल महंतो, सचिव डॉ उत्पल शर्मा तथा पुस्तकालय अध्यक्ष  प्रशांत कुमार डेका, ट्रस्ट के सभी ट्रस्टियों, तथा सभी संघीय संस्थाओं का हार्दिक स्वागत अभिनंदन किया तथा बताया कि ट्रस्ट द्वारा 10 वर्ष पूर्व में देखे गए स्वप्न का   आज    साक्षात रूप सामने आया है। ट्रस्ट द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों का प्रदेश की परंपरा अनुसार अभिनंदन किया गया । कुलपति महोदय  ननी गोपाल महंतों ने अपने वक्तव्य में मुनि वृंद के चरणों में वंदन निवेदन किया एव कहा कि हम सभी आज आप का सान्निध्य पाकर धन्य हो गये है। आपने विश्वविद्यालय की धरा को पावन किया है


अपने उद्बोधन में कुलपति महोदय ने वर्तमान संस्कृति पर गहरा कुठाराघात करते हुए कहा की आज की युवापीढ़ी अपने श्रनिक आनंद के लिए नशे द्वारा पूरे जीवन को बर्बाद कर रही है, इनमे भगवान महावीर के सिद्धांतों से बदलाव लाया जा सकता है। अपने भविष्य में भी इस तरह संस्था से मिलकर विभिन्न  कार्यक्रम करने का भरोसा दिया।


मुनि श्री रमेश कुमार जी द्वारा अपने  औजस्वी उद्बोधन में आज के समय में जैन धर्म के मूल सिद्धांत के बारे में बताया की वर्तमान में व्यक्ति का विस्खलन तीन स्तर पर हो रहे हैं । व्यक्ति का व्यक्ति के साथ, प्रकृति के साथ तथा संस्कृति के साथ । उसके परिणाम स्वरूप भय, हताशा, संघर्ष और अंततः अस्तित्त्व पर गहरा संकट मंडरा रहा है। इन सब का का समाधान भगवान महावीर के शिक्षा सूत्रों में पाया जा सकता है जो वर्तमान के समय में बहुत उपयोगी है।


मुनिश्री डॉक्टर ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में यह बताया कि भगवान महावीर ने विश्व को अनेक अवदान दिए जिसमे अहिंसा अनेकांतवाद एवं अपरिग्रह का जो सिद्धान्त दिया है वह पूरी मानव जाति के लिए वरदान है । पूरी मानव जाति को यह संदेश है की अहिंसा जीवनशैली बने अपरिग्रह जीवन व्यवहार बनें तथा अनेकांत जीवन की चर्या बने तो कभी भी कहीं भी किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आएगी । वर्तमान समय में इन सिद्धांतों को व्यवहार जगत में जिया जाए उपयोग किया जाए तो जीवन सुखमय शान्ति मय एवं आनंदमय बन सकता है ।   


कार्यक्रम के समापन के पहले सह मंत्री मनीष सिंघी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया एवं असम गीत के साथ तथा मुनि वृंद के मंगल पाठ द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ । 


इस आशय की जानकारी ट्रस्ट के मंत्री श्री अजय भंसाली द्वारा दी गई ।

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