-लघु उद्योग भारती का देश में तेजी से हो रहा विस्तार
गुवाहाटी। लघु उद्योग भारती की अखिल भारतीय कार्यसमिति एवं कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक का सोमवार को यहां समापन हो गया। बौद्धिक सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने उद्योगों की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि उद्योग अच्छा चले ये तो है ही, किंतु, उद्देश्य इससे अलग है। उद्योग के आसपास का भी वातावरण, परिवेश, समाज सबकी उन्नति हो। हमारा मौलिक दर्शन है, सम्यक और समन्वित विचार। मजदूरों का, उनके परिवार, आसपास के क्षेत्र का, पूरे देश का, दुनिया का कल्याण हमारा उद्देश्य है। एक सत्र ऐसा निकालना है कि हमारा उद्योग देश और समाज के लिए क्या किया। केवल मालिक का हित हमारा उद्देश्य नहीं है। हम एकांगी नहीं सोचते। समन्वित रूप से सोचते और करते हैं।
उन्होंने उदाहरण का हवाला देते हुए कहा, एक जगह एक लंबा फ्लाईओवर देखा, उसमें बीच-बीच में गोल छेद था, जिसमें चिड़िया ने घोसला बना रखा था। काशी में 400 साल पुराने विशाल भवन के ऊपर में छेद छूटा हुआ क्यों है। चिड़िया के रहने के लिए। चीन में एक बार चिड़ियों को मार दिया गया। उसके दो साल बाद अकाल पड़ गया। करोड़ो लोग मर गए। विचार हुआ तो देखा गया कि चिड़िया 10 प्रतिशत फसल खाती है, 90 प्रतिशत कीड़े खाती हैं। इसलिए फसल सुरक्षित थी। चिड़िया मर गई तो कीड़ों ने फसल को बर्बाद कर दिया।
एक अन्य उदाहरण देते हुए कहा कि जयललिता के पास दस हजार साड़ियां थीं, किसी के पास 100 जोड़ी जूते हैं। ये क्या है। मूर्खता है। क्या जरूरत है। शराब-सिगरेट छूट जाए तो क्या बुराई है। हमें ऐसा वातावरण बनाना है कि हम भौतिकता के इस तुफान को रोक सकें। हम सजग हैं, सामार्थ्यवान हैं, ठीक हैं, सामाजिक हैं क्या ? यदि नहीं तो अकेले हैं। सामाजिक बंधन जरूरी है। लघु उद्योग भारती के विस्तार को लेकर उन्होंने कुछ आंकड़े भी उपस्थित लोगों के सामने रखा।
उन्होंने कहा कि चार महीना पहले जब कार्य समिति एवं कार्यकारिणी की बैठक को लेकर योजना बननी शुरू हुई तो संस्था का विस्तार काफी तेज गति से हुआ। उन्होंने कहा कि पहले 303 इकाई थी, जब अब 378 हो गई है। वहीं कार्ययुक्त जिले 390 थे अब 450 हो गए हैं, वहीं सदस्यों की संख्या कुल 32 हजार हो गई है। इसी तरह शाखाओं की संख्या भी 110 से बढ़कर 270 हो गयी है। बैठक में 164 लोग आपेक्षित थे, जबकि 140 लोग उपस्थित हुए।







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